बागियों ने बिगाड़ा राजनीति दलों का खेल, गरियाबंद में कुछ ऐसे हैं समीकरण
गरियाबंद
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा और कांग्रेस ने अपने-अपने प्रत्याशी मैदान में उतार दिए हैं. प्रत्याशियों की सूचियां जारी होने के बाद से ही बागी सामने आ गए हैं. गरियाबंद में बागियों ने राजनीतिक दलों को मुश्किल में डाल दिया है. तमाम राजनीतिक दल भले ही सब कुछ ठीक होने का दावा करें, लेकिन बागियों ने इन पार्टियों का खेल बिगाड़ दिया है. अब सभी पार्टियां बागियों की काट ढूंढने में जुट गई हैं.
गरियाबंद जिले में जैसे-जैसे नामांकन भरे जा रहे हैं, राजनीतिक दलों से बागी भी निकलकर सामने आ रहे हैं. सत्ताधारी पार्टी भाजपा, कांग्रेस या फिर जोगी कांग्रेस. सभी पार्टियों में बागियों की एक लंबी कतार गरियाबंद जिले में देखने को मिल रही है. यहीं नहीं इन बागियों में से कुछ तो नामांकन दाखिल कर चुनावी मैदान में भी कूद चुके हैं.
भाजपा की बात करें तो यहां की राजिम विधानसभा सीट से रामूराम साहू और बिन्द्रानवागढ़ विधानसभा सीट से वरिष्ठ नेता रामरतन मांझी पार्टी से बगावत कर रहे हैं. इन दोनों भाजपा नेताओं ने नामांकन पत्र खरीदकर चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है. कांग्रेस का भी हाल कुछ ऐसा ही है. बिन्द्रानवागढ़ विधानसभा सीट से पूर्व विधायक औंकार शाह पार्टी से बगावत कर गोंडवाना पार्टी से चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं. छजकां(छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस) भी इस मामले में पीछे नहीं है. राजिम से भुवनेश्वर निषाद और बिन्द्रानवागढ़ से शीला ठाकूर पार्टी लाइन से हटकर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने की ताल ठोक चुके हैं.
बागी भले की खुलकर मैदान में कूद चुके हो, लेकिन राजनीतिक पार्टियां अभी भी बागियों के खिलाफ कुछ बोलने को तैयार नहीं है. सूत्रों की माने तो पार्टियां अंदरूनी तौर पर बागियों को मनाने की कोशिशों में जुटी है. सभी दलों ने अपने-अपने बागियों को मनाने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है.