सेना को मिलेंगे घातक हथियार, खरीद को विदेश गई टीम

नई दिल्ली 
सरकार ने एक आर्मी ब्रिगेडियर की अगुआई में एक 9 सदस्यीय 'अधिकारप्राप्त समिति' को अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, इजरायल और यूएई के लिए रवाना किया है जो सशस्त्र बलों के लिए नई असॉल्ट राइफलों और क्लोज-क्वॉर्टर बैटल (CBQ) कार्बाइनों के खरीद की संभावनाएं टटोलेगी।  

रक्षा मंत्रालय ने आखिरकार मार्च में 72,400 असॉल्ट राइफलों, 93,895 CBQ कार्बाइनों की खरीद प्रक्रिया को शुरू किया था। सबसे पहले हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने इस बारे में रिपोर्ट दी थी। इन राइफलों और कार्बाइनों को चीन और पाकिस्तान सीमा पर तैनात इनफैन्ट्री जवानों उपलब्ध कराया जाना है और इसके लिए फास्ट-ट्रैक प्रसिजर (FTP) शुरू किया गया है। 

एक अधिकारी ने बताया, 'अधिकारप्राप्त समिति शनिवार को रवाना हुई और यह यह विभिन्न देशों में OEMs (ऑरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स यानी मूल उपकरण निर्माता) या वेंडर्स की राइफलों व कार्बाइनों का मूल्यांकन करेगी। FTP सिलेक्शन ऑपरेशनल जरूरतों पर आधारित होगा न कि लंबी चलने वाली नॉर्मल प्रोक्यूरमेंट प्रॉसेस जैसे GSQRS (जनरल स्टाफ क्वॉलिटेटिव रिक्वॉयरमेंट्स), फील्ड ट्रायल, स्टाफ इवैल्यूएशन आदि पर आधारित होगा।' 

अधिकारप्राप्त समिति जिन हथियारों को उचित पाएगी उन्हें 'कंपैटिबिलिटी टेस्ट' के लिए OEMs से भारत लाया जाएगा यानी उन्हें भारत लाकर ट्रायल किया जाएगा। जो हथियार ट्रायल में कंपैटिबल पाए जाएंगे उनके लिए रक्षा मंत्रालय निविदा निकालेगी। राइफलों और कार्बाइनों की खरीद पर क्रमशः 1,798 करोड़ और 1,749 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। रक्षा मंत्रालय ने इस साल फरवरी में 16,479 लाइट मशीन गनों की 1,819 करोड़ रुपये में खरीद की फास्ट ट्रैक प्रसिजर को भी मंजूरी दी थी, हालांकि इसमें अभी कुछ देरी है। 

सेना ने 2005 में ही पहली बार अपने 382 इनफैन्ट्री बटैलियनों (हरेक में 850 सैनिक) के लिए नई असॉल्ट राइफलों और CBQ कार्बाइनों की मांग की थी जबकि लाइट मशीन गनों के मामले को 2009 में शुरू किया गया था। इतने सालों बाद भी सेना को ये हथियार और उपकरण नहीं मिल सके हैं।