12 जून को है गंगा दशहरा, इस बार बन रहा है ये अद्भूत संयोग

12 जून को है गंगा दशहरा, इस बार बन रहा है ये अद्भूत संयोग


ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को हस्त नक्षत्र में स्वर्ग से गंगा का धरती पर आगमन हुआ था। यह तिथि उनके नाम पर गंगा दशहरा के नाम से प्रसिद्ध हुई। इस दिन गंगा में स्नान, अन्न-वस्त्रादि का दान, जप-तप-उपासना और उपवास किया जाय तो दस प्रकार के पाप (3 प्रकार के कायिक, चार प्रकार के वाचिक और तीन प्रकार के मानसिक) दूर होते हैं। इस वर्ष गंगा दशहरा 12 जून दिन बुधवार को है।

गंगा दशहरा पर स्नान का विशेष महत्व है। माना जाता है इस दिन गंगा जी में डुबकी लगाने से मनुष्य के जीवन के सभी पाप धूल जाते हैं और वह पाप रहित हो जाता है। इसके अलावा गंगा दशहरा के दिन कोई रोगी गंगा नदी में स्नान कर लेता है तो उसे उस रोग से मुक्ति मिल जाती है।

इस बार बन रहा है अद्भुत संयोग
गंगा दशहरा में दिन के एक बजे तक 'सर्वार्थसिद्धि' योग होने से अद्भुत संयोग बन रहा है, जो महाफलदायक है। इस बार योग विशेष का बाहुल्य होने से इस दिन स्नान, दान, जप, तप, व्रत और उपवास आदि करने का बहुत ही महत्व है। गंगा दशहरा के दिन काशी दशाश्वमेध घाट में 10 प्रकार स्नान करके, शिवलिंग का 10 संख्या के गन्ध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य और फल आदि से पूजन करके रात्रि को जागरण करें, तो अनन्त फल होता है।

गंगा पूजन की विधि
गंगा दशहरा के दिन गंगा तटवर्ती प्रदेश में अथवा सामर्थ्य न हो तो समीप के किसी भी जलाशय या घर के शुद्ध जल से स्नान करके सुवर्णादि के पात्र में त्रिनेत्र, चतुर्भुज, सर्वावयवभूषित, रत्नकुम्भधारिणी, श्वेत वस्त्रादि से सुशोभित तथा वर और अभयमुद्रा से युक्त श्रीगंगा जी की प्रशान्त मूर्ति अंकित करें। अथवा किसी साक्षात् मूर्ति के समीप बैठ जाएं। फिर 'ऊँ नमः शिवायै नारायण्यै दशहरायै गंगायै नमः' से आवाहनादि षोडषोपचार पूजन करें। इसके उपरान्त 'ऊँ नमः शिवायै नारायण्यै दशहरायै गंगायै स्वाहा' से हवन करें।

ये मंत्र का उच्‍चारण करें
तत्पश्चात 'ऊँ नमो भगवति ऐं ह्रीं श्रीं (वाक्-काम-मायामयि) हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे मां पावय पावय स्वाहा।' इस मंत्र से पांच पुष्पाञ्जलि अर्पण करके गंगा को भूतल पर लाने वाले भगीरथ का और जहाँ से वे आयी हैं, उस हिमालय का नाम- मंत्र से पूजन करें। फिर 10 फल, 10 दीपक और 10 सेर तिल- इनका 'गंगायै नमः' कहकर दान करें।

साथ ही घी मिले हुए सत्तू और गुड़ के पिण्ड जल में डालें। सामर्थ्य हो तो कच्छप, मत्स्य और मण्डूकादि भी पूजन करके जल में डाल दें। इसके अतिरिक्त 10 सेर तिल, 10 सेर जौ, 10 सेर गेहूँ 10 ब्राह्मण को दें। इतना करने से सब प्रकार के पाप समूल नष्ट हो जाते हैं और दुर्लभ-सम्पत्ति प्राप्त होती है।


दान देते समय इस बात का रखें ध्‍यान
गंगा दशहरा पर दान का भी विशेष महत्व है। इस दिन दिया गया दान कई शुभ फलों के रूप में आपको प्राप्त होता है। इस दिन दिया गया आपकी धन- सम्पदा में वृद्धि करेगा। इस दिन जो भी दान दिया जाता है। उसकी संख्या दस होनी चाहिए।

जिस वस्तु की पूजा की जाती है। उसकी संख्या भी दस होनी चाहिए। ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्त होती है