39 साल में पूरी हो पाई बाणसागर परियोजना, एशिया में नहीं ऐसी दूसरी मिसाल

मिर्जापुर ​​​​​​​
विंध्य क्षेत्र की बहुउद्देशीय बाणसागर नहर परियोजना का कार्य पूरा होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन मिर्जापुर के चनईपुर गांव से किया. यह एक ऐतिहासिक पल है जब एशिया की सबसे बड़ी नहर परियोजना का उद्घाटन कर प्रधानमंत्री ने इसे देश को समर्पित किया. 3500 करोड़ की लागत से बनी इस 170 किमी नहर परियोजना के यूपी हिस्से का कार्य इसके शिलान्यास के 39 साल बाद पूरा किया जा सका है.

इस नहर परियोजना का लाभ प्रदेश के दो बड़े जिलों मिर्जापुर और इलाहाबाद के असिंचित क्षेत्रों के 1.70 लाख किसानों को होगा. बाणसागर नहर से दोनों जिलों में 150131 लाख हेक्टेयर फसलों की सिंचाई संभव हो सकेगी. जिसमें मिर्जापुर में 75 हजार 309 हेक्टेयर और इलाहाबाद में 74 हजार 823 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हो सकेगी.

दरअसल सिंचाई की सुविधा के मामले में यह इलाका काफी संकटग्रस्त माना जाता था. वहीं मीर्जापुर जिले के पहाड़ी इलाके में गर्मी शुरू होते ही पानी की समस्या खड़ी हो जाया करती थी. ऐसा माना जा रहा है इस परियोजना के पूरा होने के साथ सूखे की समस्या से जूझ रहे इस क्षेत्र को निजात मिल पाएगी.

39 साल बाद पूरा हुआ कार्य

बाणसागर परियोजना की परिकल्पना मध्यप्रदेश के विंध्य क्षेत्र में होने वाली वर्षा की अनिश्चितता को देखते हुए और उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य के कुछ सर्वाधिक सूखा ग्रस्त क्षेत्रों को सिंचित करने के लिए की गई थी.  परियोजना के निर्माण के लिए मध्यप्रदेश ने 50 फीसदी, उत्तर प्रदेश ने 25 फीसदी और बिहार ने 25 फीसदी वित्तीय सहायता देना स्वीकार किया था.

इस परियोजना के लिए 1977 के मूल्य के आधार पर वर्ष 1978 में 322.30 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए. इसका शिलान्यास जनता सरकार के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने 14 मई 1978 को किया था.

परियोजना का काम दस साल में पूरा किया जाना था, लेकिन वित्तीय संसाधनों की सीमित उपलब्धता और सहभागिता के अनुसार अंशदान का भुगतान समय से न होने के कारण परियोजना के कार्य लटकता गया. मध्यप्रदेश के हिस्से में इस महत्वाकांक्षी अंतर्राज्यीय परियोजना को 2006 में पूरा कर लिया गया. जिसका उद्घाटन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 2006 में किया था.