नहर फूटने से 500 बीघा फसल बर्बाद, चक्का जाम करने वाले 60 पर मामला दर्ज

नहर फूटने से 500 बीघा फसल बर्बाद, चक्का जाम करने वाले 60 पर मामला दर्ज

नुकसान का सर्वे कराकर मुआवजा दिलाने का मिला भरोसा

shailendra misra भिण्ड। पानी छोड़े जाने से नहर फूट गई और इससे खेत में खड़ी करीब 500 बीघा की फसल बर्बाद हो गई। गुस्साए किसानों ने जाम लगा दिया, इसे खुलवाने के लिए पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और स्थिति पर काबू पाने का प्रयास किया, लेकिन भीड नहीं मानी तो प्रशासन ने 60 के विरुद्ध मामला दर्ज का लिया है। मामला ऊमरी क्षेत्र के अकोडा का है यहां मोहन सिंह पुरा के पास का है यहां नहर फूट जाने से अकोड़ा, विलाव मौजा के किसानों के खेत में खड़ी फसल डूब गई और किसान आक्रोशित हो उठे। आरोप है कि नहर का फाटक न खोले जाने के कारण खेतों में पानी भर गया और फसल चोपट हो गई। इस बीच नहरों की मरम्मत को लेकर भी सवाल खड़े हो गए हैं और कहा जा रहा है नहरों के रख रखाव के लिए आने वाला पैसा सिंचाई विभाग के अधिकारी चट कर जाते हैं, इसलिए इस तरह की स्थिति बनी है। जानकारी दी गई कि नहर में पानी छोड़े जाने के बाद नहर की दीवार इसका प्रेशर नहीं झेल पाई और फूट गई। इससे पानी अपनी सीमा पार कर सीधा खेतों की ओर चल पड़ा और इससे काफी नुकसान हो गया है। 60 लोगों के विरुद्ध मामला दर्ज ग्रामीणों ने रास्ते में लकडिय़ा डालकर चक्काजाम किया था, जिसकी सूचना पुलिस को मिलते ही मौके पर पहुंची और जाम खुलवाया, पुलिस ने जाम लगाने वाले 50 से 60 लोगों के विरुद्ध आचार संहिता का उल्लंघन करने पर उनके विरुद्ध मामला दर्ज कर लिया है। गुरुवार शाम 9 बजे क्षेत्र में स्थित नहर फूट गई और जिसका पानी खेतों में भर जाने से किसानों की फसल बर्वाद हो रही थी, पानी रोकने के लिए ग्रामीणों से सड़क पर जाम लगा दिया, जिसके बाद मौके पर पुलिस पहुंची और ग्रामीणों को समझाया कि आचार संहिता में इस तरह का काम नहीं करें फिर भी नहीं माने तो रामज्ञान, लला, लटूरीसिंह, राजकुमार, यजूसिंह, शिवम, देवराज, नेता, जयवीर, गोलू, अरुण, विष्णुसिंह, अभिनीश, कुलदीप, राजवीर, भूरेसिंह, रवि सिंह, बबलू, रामकमाल, विष्णु सिंह सहित 50 से 60 लोगों के विरुद्ध पुलिस ने आचार संहिता का उल्लंघन करने पर प्रकरण दर्ज कर लिया है। प्रशासन ने सर्वे कराने का दिया आश्वासन गुस्साए किसानों ने अकोड़ा पर जाम लगा दिया और नुकसान की भरपाई करने की मांग की। जानकारी लगते ही राजस्व अधिकारी मौके पर पहुंचे और कहा कि किसानों की बर्वाद हुई फसल का सर्वे कराकर उचित मुआवजा दिलाया जाएगा। इस समझाइश के बाद किसानों ने जाम खोला और अपने घरों को बापस चले गए। मौके पर एसडीएम भिण्ड व तहसीलदार पहुंचे और उनके साथ ऊमरी थाना प्रभारी व पुलिस बल भी साथ रहा और समझाइश के बाद यह जाम खुल सका। सिंचाई विभाग की अनदेखी का है नतीजा इस बीच आरोप यह भी लगे की सिंचाई विभाग के अधिकारी नहरों की ओर जरा भी ध्यान नहीं दे रहे है। इनके द्वारा न तो नहरों के रख रखाव पर किसी तरह की गंभीरता बरती जा रही है और न ही पानी छोडऩे से पूर्व इन नहरों का मुआयना किया जाता है। अगर पानी छोडऩे से पूर्व नहरों की स्थिति पर ध्यान दिया जाए तो सामने आते देर नहीं लगेगी कि किन किन स्थानों पर नहर की मरम्मत की जानी चाहिए। इस मरम्मत मात्र से ही इस तरह की समस्या को टाला जा सकता है पर इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। मरम्मत के नाम पर भी बड़ा गोलमाल यह बात किसी से छुपी नहीं है कि नहरों के रख रखाव व मरम्मत के नाम पर अधिकारी किस तरह अपनी जेब भरते हैं। पहले तो चहेतों को नहरों की मरम्मत का कार्य सौंप दिया जाता है और बाद में इन्हीं से मरम्मत के नाम पर खानापूर्ति कराकर बजट चट कर लिया जाता है। इस तरक के आरोप कई दफा सिंचाई विभाग के अधिकारियों पर लगते रहे है, लेकिन इस पर किसी तरह की ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई, इस कारण अफसरों को सह मिलती रही और किसानों को हर बार इसकी भरपाई करनी पड़ती रही है। होनी चाहिए जिम्मेदारी तय नहर के फूटने से किसानों को हुए नुकसान की भरपाई शासन-प्रशासन को करनी चाहिए और यह भी इसकी भी जांच लगे हाथ करा लेनी चाहिए कि इस नहर की मरम्मत आखरी दफा कब कराई गई थी, क्योंकि सूत्र खुलासा कर रहे हैं कि इस नहर की मरम्मत हुए ज्यादा वक्त नहीं बीता है फिर भी इसका इस तरह फूट जाना मरम्मत कार्य में पोल खोल रहा है दावा किया जा रहा है कि अगर इसकी जांच हो तो पूरी हकीकत सामने आने में देर नहीं लगेगी।