मंडला में1099 हेक्टेयर भूमि में बैगा समुदाय को मिले हेबीटेट राईट्स

मंडला में1099 हेक्टेयर भूमि में बैगा समुदाय को मिले हेबीटेट राईट्स

भोपाल, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परम्परागत वन निवासियों को हेबीटेट राईटस दिये जा रहे हैं। मंडला जिले की जनपद पंचायत बिछिया की तीन ग्राम पंचायत कन्हारीकला, चंगरिया और मेढ़ाताल के बैगा समुदाय के हेबीटेट राईटस (प्राकृतिक पर्यावास के अधिकार) के दावे ग्राम पंचायत एवं उपखण्ड स्तरीय वनाधिकार समिति की अनुशंसा के बाद जिला स्तरीय वनाधिकार समिति द्वारा स्वीकृति जारी कर दी गई है। तीनों पंचायत में बैगा समुदाय के लोगों के लिये जननांकीय निर्धारक, आर्थिक/जीवन उर्पाजन के लिये प्रयोजन, सांस्कृतिक/धार्मिक, औघधि एवं कंदमूल आदि के लिये सीमा का विस्तार और खसरा निर्धारित किया गया है। इन ग्राम पंचायतों के 541 बैगा परिवारों को 664 हेक्टेयर वनभूमि एवं 435 हेक्टेयर राजस्व भूमि (बड़े-छोटे झाड़) के जंगल में, इस प्रकार कुल 1099 हेक्टेयर भूमि में हेबीटेट राईटस प्रदान किये जाने की मान्यता दी गई है।

जिला समिति द्वारा स्वीकृत क्षेत्रों में ग्राम पंचायत कन्हारीकला, चंगरिया और मेढ़ाताल के बैगा समुदाय के लोग अनुषांगिक प्रयोजनों के लिये सांस्कृतिक मान्यताओं के स्थलों, संसाधनों तक आने-जाने के उपयोग, वन / राजस्व वन क्षेत्रों से प्राप्त काष्ठ, लघु-वनोपज, गैर कृषि खाद्य, चारागाह, औषधि, जलाऊ लकड़ी का संग्रहण तथा संसाधनों तक पहुँच के लिये आवागमन, परम्परागत तरीके से ग्राम की सीमाओं के अंदर नदी, नालों में मछली पकड़ने, सांस्कृतिक - धार्मिक प्रयोजन के स्थलों तक पहुँच एवं उपयोग, आजीविका के लिये खाद्य आदि संग्रहण एवं संसाधनों तक पहुँच के लिये आवागमन और बैगा परम्पराओं के अनुसार विभिन्न बीमारियों / प्राकृतिक प्रकोप के उपचार हेतु उनके औषधिक ज्ञान अनुसार औषधियों तक पहुँचने एवं संग्रहण के लिये स्थलों का चिन्हाकंन किया गया है।

हेबीटेट राईट्स के प्रस्ताव / दावा पर पहले ग्राम सभा एवं उपखण्ड स्तरीय वनाधिकार समिति द्वारा कार्यवाही पूर्ण की गई। प्रस्ताव दावा निराकरण के लिए अनुशंसा सहित जिला स्तरीय वनाधिकार समिति को भेजा गया। प्रस्ताव पर जिला स्तरीय समिति द्वारा विस्तृत समीक्षा एवं चर्चा की गई। इसमें संबंधित ग्राम पंचायतों के बैगा समुदाय एवं उपस्थित जन-प्रतिनिधियों के समक्ष दावे से संबंधित सभी जानकारियाँ पढ़ कर सुनाई गई। बैगा समुदाय के लोगों द्वारा सभी तथ्यों पर सहमति व्यक्त कर तैयार किये गये नजरी नक्शे का भी समिति के समक्ष परीक्षण कर मानचित्र पर स्थल सत्यापन किया गया। समिति के सभी उपस्थित सदस्यों, उपखण्ड स्तरीय समिति के प्रतिनिधि एवं बैगा समुदाय की सहमति के बाद जिला स्तरीय समिति द्वारा निर्धारित शर्तों के अनुसार हेबीटेट राईट्स के दावे को सर्व सम्मति से मान्य करने की स्वीकृति दी गई।

मण्डला जिले में इसके पूर्व मवई जनपद के अमवार में हेबीटेट राईट प्रदान किये जा चुके हैं। शासन की मंशा के अनुसार जल, जंगल एवं जमीन का वास्तविक अधिकार बैगा समुदाय को दिया जा रहा है। हेबीटेट राईटस मिल जाने से बैगा समुदाय वनों में अपनी प्राचीन परम्पराओं का निर्वाह पहले की तरह निश्चिंत होकर कर सकेंगे।

दिया गया तीसरा हैबिटेट राइट्स
बता दें कि मण्डला जिले में मवई जनपद के अमवार में हेबीटेट राईट प्रदान करने के बाद यह दूसरा एवं प्रदेश में तीसरा हेबीटेट राइट्स का अधिकार प्रदान किया गया है। संपूर्ण देश में भी चुनिंदा स्थानों पर हेबीटेट राईट प्रदान किया गया है। अब शासन के मंशा के अनुसार जल, जंगल एवं जमीन का वास्तविक अधिकार बैगा समुदाय को दिया जा रहा है। बैगा समुदाय अपने वनों में अपनी प्राचीन परम्पराओं के साथ निवास कर जीवन में अपनी धरोहरों को आगे बढ़ाते रहेंगे।

क्या है हैबिटेट राइट?
बता दें कि सरकार द्वारा बैगा परिवार को दिया गया हेबीटेट राईट का मुख्य उद्देश्य यह है कि इससे बैगा समुदाय के लोग, अपनी इकोनॉमिक एक्टिविटी और कल्चर्ल एक्टिविटी के लिए जहां भी आते-जाते हैं। उसके लिए कहीं भी उनकी अनइंटरप्टेड मूवमेंट हो सकेगी। इसलिए पूरे एरिया के 1099 हेक्टेयर को हेबीटेट राईट के रूप में स्वीकृत किया गया है। इससे करीब 500 बैगा परिवारों के लोग लाभान्वित होंगे।

कलेक्टर हर्षिका सिंह ने बताया

जिला कलेक्टर हर्षिका सिंह ने बताया कि 541 बैगा परिवारों को 664 हेक्टेयर वन भूमि एवं 435 हेक्टयर राजस्व भूमि (कुल 1099 हेक्टेयर भूमि) पर आवास अधिकार दिया गया। इससे जिले के बैगा बाहुल्य क्षेत्र के कन्हारीकला, चंगरिया एवं मेधाताल ग्राम पंचायतों के कुल 541 बैगा परिवार लाभान्वित हुए हैं।

उन्होंने बताया कि इससे पहले वर्ष 2021 में मंडला जिले के मवई प्रखंड के अमवर ग्राम पंचायत में जिला प्रशासन ने आवास का अधिकार प्रदान किया था। मंडला देश के उन 10 जिलों में से एक बन गया है जिसने स्वदेशी जनजातियों को आवास अधिकार प्रदान किए हैं। कलेक्टर सिंह ने बताया कि भविष्य में भ्रम की स्थिति से बचने के लिए सीमांकित क्षेत्रों के जीपीएस स्थानों को दर्ज किया जा चुका है।

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