गौशालाओं का अनुदान वित्तीय संसाधनों की उपलब्धतानुसार बढ़ाने पर विचार: गोपालन मंत्री

गौशालाओं का अनुदान वित्तीय संसाधनों की उपलब्धतानुसार बढ़ाने पर विचार: गोपालन मंत्री

जयपुर। गोपालन मंत्री जोराराम कुमावत ने मंगलवार को विधानसभा में कहा कि गौशालाओं का अनुदान वित्तीय संसाधनों की उपलब्धतानुसार बढ़ाने पर विचार किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अपाहिज गौवंश को 12 माह का और शेष गौवंश को 9 माह का अनुदान दिये जाने का प्रावधान है।

कुमावत ने कहा कि गौ संरक्षण एवं संवर्धन निधि नियम, 2016 के अंतर्गत स्टाम्प ड्यूटी पर 10 प्रतिशत गौ सेस एवं वर्ष 2018-19 से शराब बिक्री पर 20 प्रतिशत गौ सेस लगाया गया। इससे प्राप्त निधि से गौशालाओं को सहायता राशि और गौशालाओं के विकास के लिए संचालित योजनाओं के लिए राशि दी जाती हैं।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2023-24 में कुल आय 1227.45 करोड़ रूपये हुई, जिसमें स्टाम्प ड्यटी से 596.41 करोड़ रूपये और शराब वैट से 631.4 करोड़ रूपये की आय शामिल थी और 1122.86 करोड़ रूपये व्यय हुआ।

गोपालन मंत्री प्रश्नकाल के दौरान सदस्य द्वारा इस संबंध में पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि सभी गौशालाओं में अपाहिज नंदी और गौवंश को लेने का प्रावधान है। अपाहित गौवंश के लिए अलग से गौशालाएं निर्धारित नहीं हैं।

इससे पहले विधायक अर्जुनलाल के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में गोपालन मंत्री ने बताया कि विधानसभा क्षेत्र बिलाड़ा में वर्तमान में कुल 54 गौशालाएं संचालित है जिनमें से 50 पंजीकृत एवं 04 अपंजीकृत गौशालाएं हैं। 

उन्होंने गौशालाओं की सूची मय पता, पशुधन संख्या तथा वित्तीय वर्ष 2023-24 के प्रथम चरण एवं द्वितीय चरण हेतु 39 पात्र गौशालाओं को दी गई कुल सहायता राशि रूपये 14 करोड़ 88 लाख 86 हजार 400 रु का विवरण सदन के पटल पर रखा।

गोपालन मंत्री ने बताया कि चारे की बढ़ी हुई दरों को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2022-23 से गौशालाओं में संधारित गौवंश के भरण-पोषण हेतु दी जा रही सहायता राशि की अवधि 180 दिवस से बढ़ाकर 270 दिवस की जा चुकी है।

उन्होंने बताया कि वर्तमान में बडे़ गौवंश हेतु 40 रूपये तथा छोटे गौवंश हेतु 20 रूपये प्रति गौवंश प्रति दिन की दर से सहायता राशि 270 दिवस की दिये जाने का प्रावधान है। साथ ही गौशालाओं में अंधे एवं अपाहिज गौवंश तथा नंदीशालाओं में संधारित नर गौवंश को इस समान दर पर 12 माह की सहायता दिये जाने का प्रावधान है। कुमावत ने बताया कि पात्र गौशालाओं का अनुदान वित्तीय संसाधनों की उपलब्धतानुसार बढ़ाया जाता है।

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