आर्थिक स्थिति खराब, सरकारी छूट पर भी खाद लेने में असमर्थ डिफाल्टर किसान
भोपाल। किसानों के लिए एक अच्छी खबर आई है। अब ऋणी किसान भी सहकारी समिति से नकद खाद और बीज खरीद सकेंगे। सहकारी समिति ने किसानों के लिए नकद खाद और बीज बेचने का फैसला किया है। पिछले साल खाद व उर्वरक की कमी को देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों को रबी सीजन में खाद की उपलब्धता को बनाए रखने के लिए ये फैसला लिया है। इसके तहत किसानों को सस्ती दर पर खाद व बीज मुहैया कराए जाएंगे। लेकिन विडंबना यह है कि मप्र में सहकारी समितियों के जो 15 लाख डिफाल्टर किसान हैं उनकी आर्थिक स्थिति खराब हैं। ऐसे में वे नकद खाद कैसे खरीद पाएंगे।
नकद पैसा देकर ले सकेंगे
गौरतलब है कि किसानों को खाद प्राथमिक सहकारी समितियों (पैक्स) के जरिए मिलता है। इसलिए किसान जिस पैक्स के मेंबर होंगे, वहां 25 मीट्रिक टन खाद उनके लिए रखवाया जाएगा। इसे वे नकद पैसा देकर ले सकेंगे। जैसे ही यह खाद पूरा बिक जाएगा। समितियां इसका पैसा जमा कराकर फिर से खाद खरीद सकेंगी। हालांकि ज्यादातर डिफाल्टर किसान ग्वालियर और चंबल संभाग के हैं। यह व्यवस्था वहां की जरूरतों को ध्यान में रखकर ही की गई है। सरकारी आकलन में डिफाल्टर किसानों की संख्या 15 लाख ही बताई गई है। लेकिन समितियों ने पिछले वर्ष केवल 39 लाख किसानों को ही खाद दी थी, जबकि समिति में कुल 76 लाख किसान सदस्य हैं। यानी लगभग आधे किसानों को ही खाद मिला था।
15 लाख किसान भी डिफाल्टर
इस योजना को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि लंबे समय से कर्ज में डूबे किसानों की माली हालात ऐसी नहीं है कि वे नकद में खाद ले पाएं। मप्र में कुल 4524 प्राथमिक सहकारी समितियां हैं। इनके 76.18 लाख किसान सदस्य हैं। 2300 समितियां घाटे में हैं। 15 लाख किसान भी डिफाल्टर हैं। 2021-22 में मप्र सरकार को 12.16 लाख टन यूरिया, 6.03 लाख टन डीएपी और 1.63 लाख टन एनपीके खाद की आपूर्ति की थी। 2022-23 के लिए सरकार ने 13 लाख टन यूरिया, 10 लाख टन डीएपी और दो लाख टन एनपीके की आपूर्ति खरीफ-रबी दोनों सीजन की फसलों के लिए की जाएगी। प्रमुख सचिव सहकारिता केसी गुप्ता का कहना है कि डिफाल्टर किसानों को नकद में भी खाद लेने की पात्रता नहीं थी। हमने उन्हें राहत देने के लिए इस बार से यह सिस्टम प्रारंभ किया है। वे सोसायटी में विशेष पूल के तहत रखी खाद नकद में जाकर ले सकते हैं।
लाखों ऋणी किसानों को होगा लाभ
हाल ही में मध्यप्रदेश सरकार की ओर से उन किसानों को राहत दी गई है, जिन्होंने प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों से ऋण ले रखा और उनका ऋण बकाया है। ऐसे किसान भी सहकारी समितियों से नकद में खाद व बीज खरीद सकेंगे। इससे राज्य के लाखों किसानों को फायदा होगा। बता दें कि मध्यप्रदेश में कई ऐसे किसान हैं जिन्होंनें सहकारी समितियों से कर्ज ले रखा है पर वे इसके सदस्य नहीं है। पहले ये व्यवस्था थी कि सहकारी समितियों यानि पैक्स के सदस्य किसान ही सहकारी समिति से खाद-बीज खरीद सकते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब जो किसान इसके सदस्य नहीं हैं वे भी सहकारी समिति से नकद में खाद व बीज की खरीद कर सकेेंगे। इस संबंध में मध्यप्रदेश सहकारिता विभाग की ओर से सभी प्राथमिक कृषि साख समितियों को, किसानों को रासायनिक उर्वरक की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किए हैं। इस संबंध में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सहकारिता को निर्देश दिए गए थे जिस पर सहकारिता मंत्री डॉ अरविंद सिंह भदौरिया ने विभागीय अधिकारियों को काम करने के लिए कहा है।
समितियों से उच्च क्वालिटी की खाद और बीज उपलब्ध हो सकेंगे
पहले ऋण न चुकाने पर किसानों को काफी नुकसान होता था। उन्हें सरकारी समितियों से खाद व बीज उपलब्ध नहीं हो पाता था। इससे उन्हें मजबूरन बाजार से अधिक कीमत खाद व बीज खरीदता पड़ता था जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता था। वहीं नकली खाद व बीज का भी डर बना रहता था। अब इन किसानों को सहकारी समितियों से उच्च क्वालिटी की खाद और बीज उपलब्ध हो सकेंगे।
सहकारी समितियों को क्रेडिट पर 25 टन उर्वरक दिया जाएगा
आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण कई सहकारी समितियां खाद का अधिक मात्रा में भंडारण नहीं कर पाती हैं, इसे को देखते हुए सरकार की ओर से विपणन संघ को निर्देश दिए गए हैं कि सहकारी समितियों को क्रेडिट पर 25 टन उर्वरक दिया जाए ताकि कमजोर सहकारी समितियां भी किसान को उर्वरक उपलब्ध करा सकेंं। इसी 25 टन उर्वरक बेचने के बाद समितियों के पास प्राप्त राशि से वह फिर से उर्वरक खरीद कर पुन: उसका भंडारण करने करने में समक्ष होगी। इससे किसानों को लगातार उर्वरक की उपलब्धता बनी रहेगी जिससे किसानों को उर्वरक के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। कृषि अर्थशास्त्री देवेंदर शर्मा ने कहा कि ज्यादातर किसानों ने छोटे-छोटे कर्ज लिए थे, जिसे वह चुका नहीं सके। डिफाल्टर हो गए। ऐसे में यह किसान नकद में खाद कहां से खरीद पाएंगे। 5 एकड़ जैसी छोटी जोत के किसानों को भी कम से कम 15-20 हजार रुपए की खाद चाहिए। सरकार को चाहिए कि वह अभी इन्हें खाद दे दे। बाद में फसल आने पर इनसे वह कर्ज ले ले।
रबी के सीजन में परेशान हो चुके हैं किसान
पिछले साल रबी सीजन में उर्वरक की कमी से राज्य के किसान काफी परेशान हुए थे। इसके लिए प्रदेश में काफी हाहाकार मचा था। किसान रात-रात भर जाग कर खाद के लिए लंबी-लंबी कतार लगा लेते थे। यहां के दतिया, ग्वालियर, भिंड, डिंडोरी, सहित कई जिलों में खाद के लिए किसानों की लंबी-लंबी कतारें देखने मिली थी। ऐसी स्थिति इस रबी सीजन में न हो, इसके लिए राज्य सरकार की ओर से पहले से ही तैयारियां की जा रहीं हैं ताकि राज्य के किसानों को खाद व उर्वरक के लिए इधर-उधर नहीं भटकना पड़े।