मध्य प्रदेश: रुठों को मनाने घर-घर पहुंच रहे बीजेपी-कांग्रेस के दिग्गज

मध्य प्रदेश: रुठों को मनाने घर-घर पहुंच रहे बीजेपी-कांग्रेस के दिग्गज

भोपाल 
मध्य प्रदेश में टिकट वितरण से नाराज बागियों ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और सत्ता की बाट जोह रही कांग्रेस, दोनों को ही ठंड में पसीना ला दिया है। बुधवार को नाम वापसी का आखिरी दिन है, उससे पहले दोनों ही दल अपने अपने घर में बगावत खत्म करना चाहते हैं। इसी वजह से दोनों ही दलों के प्रमुख और बुजुर्ग नेता इस समय ओवरटाइम कर रहे हैं।

जहां तक कांग्रेस का सवाल है, उसके करीब 97 नेता बगावत पर उतरे हैं। इनमे वरिष्ठ नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी भी शामिल हैं। इन नेताओं ने 83 सीटों पर अपने नामांकन पत्र दाखिल किए हैं। रूठों को मनाने का काम पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह कर रहे हैं। कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया भी उनकी मदद कर रहे हैं। दिग्विजय इस समय भोपाल में ही डेरा डाले हुए हैं। वह सीधे बात करके लोगों को मना रहे हैं। कई लोगों को उन्होंने मना भी लिया है। उन्हें उम्मीद है कि अगले 36 घंटे में वह सबको मना लेंगे। 

टिकट न मिलने से रूठे कई नेता 
सूत्रों के मुताबिक, पार्टी नेतृत्व ने सभी नेताओं से कहा है कि वे अपने-अपने समर्थकों को समझाएं। सबसे ज्यादा समस्या भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में आ रही है। वैसे हर क्षेत्र में लोग नाराज हैं। 15 साल से सत्ता से बाहर चल रहे कांग्रेसी इस बार कुछ भी करने को तैयार हैं। 15 साल से राज कर रही बीजेपी में संकट बहुत गहरा है। एक ओर तो पार्टी सत्ताजनित नाराजगी का सामना कर रही है, वहीं नेताओं की महत्वाकांक्षा ने भी समस्या बढ़ाई है। बीजेपी में सबसे ज्यादा बुजुर्ग नेता नाराज हैं। 78 साल के सरताज सिंह ने तो गुस्से में कांग्रेस का दामन थाम लिया है। वह अब होशंगाबाद से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसा ही हाल पूर्व मंत्री और बुजुर्ग कुर्मी नेता रामकिशन कुसमरिया का है। पार्टी द्वारा टिकट न दिए जाने से नाराज कुसमरिया दमोह से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर लड़ रहे हैं। पूर्व मंत्री कुसुम महदेले भी नाराज हैं। उनका भी टिकट काट दिया गया है। 

एक जमाने में कुशाभाऊ ठाकरे रूठों को मनाने का काम करते थे। इस समय न तो पार्टी में उस कद का कोई नेता है और न ही उस तरह का माहौल है। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा, महासचिव कैलाश विजयवर्गीय रूठों को मनाने में लगे हैं लेकिन अभी तक उन्हें खास सफलता मिलती नहीं दिख रही है। इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर और उज्जैन सहित सभी प्रमुख जिलों में बगावत मुखर हो रही है।