दिन-रात मेहनत कर जेआरडी टाटा ने दिलाई थी एयर इंडिया को अलग पहचान

नई दिल्ली, टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन जेआरडी टाटा ने अपने कार्यकाल में कई कंपनियों की स्थापना की थी। इसमें टाटा ग्रुप की एविएशन कंपनी टाटा एयरलाइंस भी शामिल थी। जेआरडी टाटा ने 1932 में टाटा एयरलाइंस की स्थापना की थी। उन्होंने खुद एक सिंगल इंजन हवाई जहाज के जरिए डाक सेवा को कराची से मुंबई तक उड़ाकर टाटा एयरलाइन की शुरुआत की थी।
अगस्त 1953 में सरकार ने सभी नौ निजी कंपनियों का राष्ट्रीयकरण कर दिया
हरीश भाट अपनी किताब टाटा लोग में लिखते हैं कि जेआरडी टाटा के नेहरू परिवार के काफी नजदीकी रिश्ते थे, लेकिन जेआरडी को उनके समाजवादी आर्थिक मॉडल से आपत्ति थी। अगस्त 1953 में सरकार ने सभी नौ निजी कंपनियों का राष्ट्रीयकरण कर दिया था। इन कंपनियों का एयर इंडिया इंटरनेशनल और इंडियन एयरलाइस में विलय कर दिया था। जेआरडी को इससे बहुत धक्का पहुंचा। लेकिन गनीमत यह रही कि उन्हें एयर इंडिया का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
खिड़कियों के परदे चुनने के लिए भी खुद जाते थे जेआरडी टाटा
एयर इंडिया की कामयाबी के लिए जेआरडी टाटा ने दिन-रात मेहनत की थी। एयर इंडिया को अलग पहचान दिलाने के लिए जेआरडी की कामकाज में इतनी दिलचस्पी होती थी कि वे एयरलाइन की खिड़कियों के परदे चुनने के लिए भी खुद जाते थे। टाटा परिवार पर ”द टाटाज: हाउ ए फैमिली बिल्ट ए बिजनेस एंड नेशन” किताब के लेखक गिरीश कुबेर लिखते हैं कि एक बार जेआरडी ने एयर इंडिया के प्रबंध निदेशक केसी बाखले को पत्र लिखा था। इस पत्र में लिखा था कि अगर आप खाने में अधिक अल्कोहल वाली बीयर परोसते हैं तो पेट भारी हो जाता है। इसलिए हल्की बीयर परोसिए। मैंने नोट किया है कि हमारे जहाजों की कुर्सियां ढंग से पीछे नहीं मुड़ती है। कृप्या उन्हें ठीक करवाइए। ये भी सुनिश्चित करिए कि जब भोजन परोसा जाए तो विमान की सभी लाइट्स ऑन रहें ताकि हमारी कटलरी उनकी रोशन में चमक उठे।
सेवा को दी प्राथमिकता
गिरीश कुबेर लिखते हैं कि जेआरडी को पता था कि वो पैसा खर्च करने के मामले में विदेशी एयरलाइंस का मुकाबले नहीं कर सकते। इसलिए उनका जोर हमेशा सर्विस और समय की पाबंदी पर रहता था। इस बारे में एक दिलचस्प किस्सा यूरोप में एयर इंडिया के रीजनल डायरेक्टर रहे नारी दस्तूर सुनाया करते थे। उस जमाने में दिन में ग्यारह बजे एयर इंडिया की फ्लाइट जिनेवा में लैंड करती थी। एक बार मैंने एक स्विस व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति से समय पूछते सुना। उस शख्स ने खिड़की के बाहर जवाब दिया, ग्यारह बज चुके हैं। पहले व्यक्ति ने पूछा तुम्हें कैसे पता? तुमने घड़ी की तरफ तो देखा ही नहीं। जवाब आया एयर इंडिया के विमान ने अभी अभी लैंड किया है।
इंदिरा गांधी ने जेआरडी को हमेशा एयर इंडिया से जुड़ा रहने दिया
शुरुआत में इंदिरा गांधी और जेआरडी के संबंध काफी अच्छे थे। लेकिन जैसे-जैसे इंदिरा का झुकाव समाजवाद की तरफ होने लगा, उनके और जेआरडी के संबंधों में दूरी आ गई। जब जेआरडी उनसे मिलने के लिए जाते तो इंदिरा गांधी या तो खिड़की के बाहर देखने लगती या अपनी डाक खोलने लग जातीं। भले ही इंदिरा गांधी से जेआरडी का वैचारिक विरोध रहा हो, लेकिन इंदिरा ने उन्हें हमेशा एयर इंडिया से जुड़ा रहने दिया। इंदिरा गांधी के बाद प्रधानमंत्री बने मोरारदी देसाई ने जेआरडी को एयर इंडिया से निकाला था। जेआरडी को एयर इंडिया से निकाले जाने की भी कोई सूचना नहीं दी। जेआरडी को एयर इंडिया से निकाले जाने की खबर पीसी लाल ने दी जिन्हें एयर इंडिया का अध्यक्ष बनाया गया था।