सुहागिनों का महापर्व करवा चौथ आज, जानें पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त
भोपाल। आज सुहागिनों का महापर्व करवा चौथ है। आज पति की लम्बी आयु के लिए महिलाओं ने निर्जला व्रत रखा है, जिसका शाम को पारंपरिक रीति-रिवाज के अनुसार पारण करेंगी। रविवार की शाम 7 से रात लगभग 9 बजे तक पूरे देश में चंद्रमा दिखेगा।
इस बार वैदिक पंचांग के अनुसार करवा चौथ पर एक साथ कई तरह के शुभ योगों का निर्माण देखने को मिलेगा। करवा चौथ पर चंद्रमा और गुरु का संयोग वृषभ राशि में बनने से गजकेसरी राजयोग का निर्माण होगा। वही इस दिन महालक्ष्मी, शश, समसप्तक और बुधादित्य राजयोग का शुभ संयोग देखने को मिलेगा। चंद्रमा इस दिन रोहिणी नक्षत्र में रहेगा।
पूजन विधि
माता पार्वती को लाल चुनरी, सिंदूर, बिंदी और सुहाग का सामान अर्पित करें। भगवान शिव और गणेश जी को चंदन, अक्षत (चावल), पुष्पमाला और अन्य पूजन सामग्री अर्पित करें। पूड़ी, लड्डू, मेवा और हलवे का भोग अर्पित करें। करवा चौथ की पौराणिक कथा पढ़कर आरती करें।
व्रत का पारण और आशीर्वाद
पूजा के बाद घर के बड़े-बुजुर्गों के चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद लें। चंद्रोदय के समय चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करें और उसके बाद व्रत का पारण करें। इस पवित्र अनुष्ठान से दांपत्य जीवन में प्रेम और विश्वास बढ़ता है, और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
शुभ मुहूर्त
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी तिथि आज यानी 20 अक्तूबर को सुबह 6:46 बजे से 21 अक्तूबर की भोर यानी 4:16 बजे तक रहेगी। करवा चौथ पर पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 46 मिनट लेकर शाम को 06 बजकर 54 मिनट तक रहेगा।
चौथ पर आटे के दीपक से पूजा करने का महत्व
हिंदू धर्म में आटे के दीपक को बेहद शुद्ध और पवित्र माना जाता है। वास्तु के अनुसार आटे के दीपक का इस्तेमाल किसी विशेष तरह की मनोकामना की पूर्ति के लिए किया जाता है। वहीं करवा चौथ का व्रत पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है, इसलिए ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आटे के दिये से पूजा करना शुभ होता है। माना जाता है कि जिसकी लंबी उम्र की कामना करते हुए आटे का दीपक जलाया जाता है उसे यमराज की पीड़ा नहीं सहनी पड़ती।
करवा चौथ की कथा
करवा चौथ व्रत की पौराणिक मान्यताएं भी है। जिससे अनुसार पति की लम्बी उम्र के लिए व्रत की परंपरा सतयुग से चली आ रही है। इसकी शुरुआत सावित्री के पतिव्रता धर्म से हुई। जब यम आए तो सावित्री ने अपने पति को ले जाने से रोक दिया और अपनी दृढ़ प्रतिज्ञा से पति को फिर से पा लिया। तब से पति की लम्बी उम्र के लिए व्रत किये जाने लगा। वहीं एक दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत में वनवास काल में अर्जुन तपस्या करने नीलगिरि के पर्वत पर चले गए थे तब द्रोपदी ने अर्जुन की रक्षा के लिए भगवान कृष्ण से मदद मांगी। उन्होंने द्रौपदी को वैसा ही उपवास रखने को कहा जैसा माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था। द्रौपदी ने ऐसा ही किया और कुछ ही समय के बाद अर्जुन वापस सुरक्षित लौट आए।
करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय
वैदिक पंचांग की गणना के मुताबिक 20 अक्तूबर को करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय शाम 07 बजकर 53 मिनट पर होगा। देशभर के अलग-अलग शहरों में चांद के निकलने के समय में कुछ बदलाव हो सकता है।