नवरात्रि: जानिए घट स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि

भोपाल, नवरात्रि का प्रारंभ आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होता है। पंडित शरद द्विवेदी के अनुसार इस वर्ष शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ 07 अक्टूबर दिन गुरुवार से हो रहा है। इस दिन ही कलश स्थापना या घटस्थापना होता है और नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इस साल दो तिथियां एक साथ पड़ रही हैं, जिसके चलते इस बार नवरात्रि 9 दिनों के बजाय 8 दिनों की रहेगी।
सुबह 6 बजकर 17 मिनट पर शुभ मुहूर्त
अश्विन मास में शुरु होने वाली नवरात्रि पर्व 7 अक्टूबर को शुरू होकर 14 अक्टूबर को महानवमी पर संपन्न हो जाएंगे। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती । इसके साथ ही घर में कलश स्थापना की जाती है। इस बार कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त गुरुवार सुबह 6 बजकर 17 मिनट से सुबह 7 बजकर 7 मिनट तक है। इस शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित करना फलदायी होगा। हालांकि इसके बाद भी कलश स्थापना की जा सकेगी।
कलश स्थापना विधि
कलश स्थापना करने से पहले स्नान करें। इसके बाद मां दुर्गा, भगवान गणेश और नवग्रहों की मूर्ति के साथ कलश की स्थापना करें। कलश स्थापना के समय अपने पूजा गृह में सात प्रकार के अनाज रखें। संभव हो, तो नदी की रेत रखें। फिर जौ डालें। इसके बाद कलश को गंगाजल मिक्स करके जल से भर दें। फिर आम की पत्तियों से कलश को ढ़क दें। इसके बाद कलश के ऊपर चुन्नी से लिपटा हुआ नारियल रखें।
नवरात्रि में रोजाना करें स्नान
नवरात्रि के दौरान रोजाना सुबह जल्दी स्नान करके साफ कपड़े पहनें और फिर पूजा स्थल की भी सफाई करें। इसके बाद रोज नियमानुसार पूजा करें। सुबह के अलावा शाम को भी घी का दीपक लगाकर आरती करें। अगर अखंड ज्योति प्रज्वलित की है तो उसके 9 दिन तक चौबीसों घंटे प्रज्वलित रखने का उचित इंतजाम करें। आखिरी दिन पूजा के बाद उसे बुझाएं नहीं बल्कि अपने आप ठंडी होने दें।
शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ: 07 अक्टूबर, दिन गुरुवार
इस वर्ष शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ 07 अक्टूबर दिन गुरुवार से हो रहा है। इस दिन ही कलश स्थापना या घटस्थापना होता है और नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है।
मां शैलपुत्री की पूजा
नवरात्रि का दूसरा दिन: 08 अक्टूबर, दिन शुक्रवार।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा।
नवरात्रि का तीसरा दिन: 09 अक्टूबर, दिन शनिवार।
मां चंद्रघंटा पूजा। मां कुष्मांडा पूजा।
नवरात्रि का चौथा दिन: 10 अक्टूबर, दिन रविवार।
मां स्कंदमाता की पूजा।
नवरात्रि का पांचवा दिन: 11 अक्टूबर, दिन सोमवार।
मां कात्यायनी की पूजा।
नवरात्रि का छठा दिन: 12 अक्टूबर, दिन मंगलवार।
मां कालरात्रि की पूजा।
नवरात्रि का सातवां दिन: 13 अक्टूबर, दिन बुधवार।
दुर्गा अष्टमी। मां महागौरी की पूजा।
नवरात्रि का आठवां दिन: 14 अक्टूबर, दिन गुरुवार।
महानवमी एवं हवन। कन्या पूजन।
नवरात्रि का दसवां दिन: 15 अक्टूबर, दिन शुक्रवार।
दुर्गा विसर्जन। नवरात्रि व्रत का पारण। विजयादशमी। दशहरा।
कन्या पूजन: नवरात्रि में व्रत के साथ कन्या पूजन का बहुत महत्व होता है। जो लोग नवरात्रि के 9 दिनों का व्रत रहते हैं या फिर पहले दिन और दुर्गा अष्टमी का व्रत रखते हैं, वे लोग कन्या पूजन करते हैं। कई स्थानों पर कन्या पूजन दुर्गा अष्टमी के दिन होता है और कई स्थानों पर यह महानवमी के दिन होता है। 01 से लेकर 09 वर्ष की कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरुप माना जाता है, इसलिए उनकी पूजा की जाती है।