जानिए एयर इंडिया की पूरी कहानी, 68 साल बाद होगी 'घर वापसी'!
नई दिल्ली, जेआरडी टाटा देश के पहले कॉमर्शियल पायलट थे। 10 फरवरी 1929 को उन्हें पायलट का लाइसेंस मिला था। जेआरडी ने भारत में पहली बार 1932 में टाटा एयरलाइंस शुरू की, जो बाद में 1946 में एयर इंडिया में तब्दील हो गई। हालांकि 1953 में सरकार ने उसे खुद अपने हाथों में ले लिया। जेआरडी टाटा उसके निदेशक बने रहे। अब वो एयर इंडिया जबकि बुरे दौर से गुजर रही है तो उसे टाटा ने फिर टेकओवर कर रहा है। उम्मीद है कि भारत की इस सबसे पुरानी एयरलाइन की किस्मत अब संवर जाएगी।
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दिन-रात मेहनत कर जेआरडी टाटा ने दिलाई थी एयर इंडिया को अलग पहचान
घाटे में चल रही सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया की कमान इस सप्ताह उसके नए मालिक को सौंप दी जाएगी। नए मालिक का फैसला इस सप्ताह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में मंत्रियों के पैनल में किया जाएगा। संभव है कि एक सप्ताह बाद एयर इंडिया की घर वापसी हो और सरकार टाटा ग्रुप को दोबारा एयर इंडिया की कमान सौंप दे।दअरसल, टाटा ग्रुप एयर इंडिया की बोली में सबसे आगे चल रहा है। इस दौड़ में स्पाइस जेट के प्रमोटर अजय सिंह भी शामिल हैं। हालांकि, अंतिम निर्णय एक सप्ताह बाद ही होना है।
इस बीच वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार ने एयर इंडिया को लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं किया है। एयर इंडिया के संचालन की जिम्मेदारी किसी और को सौंपने के लिए जो भी नियम व कानून हैं, उनका पालन किया जा रहा है। वह एक प्रक्रिया के तहत ही होगा।
1932 में टाटा एयरलाइंस के नाम से हुई थी एयर इंडिया की शुरुआत
अगर टाटा के साथ सरकार का सौदा पक्का होता है तो विमानन कंपनी की 68 साल बाद 'घर वापसी' होगी। टाटा समूह ने अक्तूबर 1932 में टाटा एयरलाइंस के नाम से एयर इंडिया की शुरुआत की थी। वर्ष 1947 में देश की आजादी के बाद एक राष्ट्रीय एयरलाइंस की जरूरत महसूस हुई। ऐसे में भारत सरकार ने एयर इंडिया में 49 फीसदी हिस्सेदारी का अधिग्रहण कर लिया। इसके बाद 1953 में भारत सरकार ने एयर कॉर्पोरेशन एक्ट पास किया और फिर टाटा समूह से इस कंपनी में बहुलांश हिस्सेदारी खरीद ली।
सरकार के रिजर्व प्राइस से करीब 3,000 करोड़ रुपये ज्यादा है टाटा की बोली
एक रिपोर्ट के मुताबिक, टाटा ग्रुप की बोली सरकार द्वारा तय किए गए रिजर्व प्राइस से करीब 3,000 करोड़ रुपये ज्यादा है। टाटा की बोली स्पाइसजेट के चेयरमैन अजय सिंह द्वारा लगाई गई बोली से लगभग 5,000 करोड़ रुपये अधिक है।
करीब 45,863।27 करोड़ रुपये है एयर इंडिया के पास प्रॉपर्टी है
31 मार्च 2020 तक एयर इंडिया की कुल फिक्स्ड प्रॉपर्टी करीब 45,863।27 करोड़ रुपये है। इसमें एयर इंडिया की जमीन, बिल्डिंग्स, एयरक्राफ्ट फ्लीट और इंजन शामिल हैं।
2018 में एयर इंडिया को बेचने के अपने असफल प्रयास
साल 2018 में एयर इंडिया को बेचने के अपने असफल प्रयास के बाद, सरकार ने पिछले साल जनवरी में विनिवेश प्रक्रिया को फिर से शुरू किया और एयर इंडिया में एयर इंडिया की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी सहित राज्य के स्वामित्व वाली एयरलाइन में अपनी 100 प्रतिशत वाली एक्सप्रेस लिमिटेड और एयर इंडिया एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में 50 फीसदी इक्विटी बेचने के लिए बोलियां आमंत्रित कीं।