मुक्केबाजी में लवलीना का पदक पक्का, जीतना चाहती हैं गोल्ड मेडल

मुक्केबाजी में लवलीना का पदक पक्का, जीतना चाहती हैं गोल्ड मेडल

टोक्यो। मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन ने टोक्यो ओलिंपिक में भारत के लिए एक पदक पक्का कर दिया है। 23 वर्षीय मुक्केबाज ने चीनी ताइपे के पूर्व विश्व चैंपियन चेन निएन-चिन को 4-1 से हराकर वेल्टरवेट वर्ग के सेमीफाइनल में प्रवेश किया। इसके साथ ही पदक तय हो गया। वह अब विजेंदर सिंह और मेरी कोम के बाद ओलिंपिक पदक जीतने वाली तीसरी भारतीय मुक्केबाज हैं। वह अब अगर सेमीफाइनल में हार भी जाती हैं, तो उन्हें कांस्य पदक मिलेगा। हालांकि, वो इतने संतुष्ट नहीं हैं और गोल्ड मेडल जीतना चाहती हैं। उन्होंने इसे लेकर इरादे भी जाहिर कर दिए हैं। उन्होंने कहा है कि मेडल तो सिर्फ एक होता, वो है गोल्ड।  

लवलीना के लिए यह मैच आसान नहीं था। इस मैच से पहले वह चार बार चेन से हार चुकी थीं। इसे लेकर उन्होंने कहा, ' मुझे पता था कि मैं इनसे चार बार पहले हार चुकी हूं। इसलिए मेरे लिए खुद को साबित करना एक चुनौती थी। मैंने कभी दूसरों के सामने खुद को साबित करने के बारे में नहीं सोचा। मैंने सोचा कि यह मेरे लिए पिछली हार का बदला लेने का एक सुनहरा अवसर है। रिंग में जाते समय कोई रणनीति नहीं थी। मैं खुश हूं कि मैंने अच्छा प्रदर्शन किया। मैंने पूरे मन से खेला और इसका आनंद लिया।'

बॉक्सिंग में कदम रखने से पहले, लवलीना थाईलैंड की मार्शल आर्ट मोहाई थाई में भी हाथ अजमाया था। यह पूछे जाने पर कि क्या इसमें प्रशिक्षण से मुक्केबाजी में मदद मिली, तो लवलीना ने कहा, 'मैंने एक साल के लिए मोहाई थाई सीखी थी। इसमें एक या दो घूंसे हुआ करते थे। मैं यह नहीं कह सकती कि मोहाई थाई ने मुझे पदक दिलाने में मदद की। लेकिन इससे मुझे थोड़ी मदद मिली है। जब मैं बॉक्सिंग में आई, तो मैंने राष्ट्रीय सब-जूनियर चैंपियनशिप जीतने में मोहाई थाई के एक या दो पंचों का इस्तेमाल किया था।

लवलीना अपने अगले लक्ष्य स्वर्ण पदक कोलेकर दृढ़ हैं। उन्होंने कहा, 'मैं कांस्य जीतकर संतुष्ट नहीं होना चाहती। मैं स्वर्ण पदक जीतना चाहती हूं। पदक केवल एक स्वर्ण ही होता है। इसके लिए मुझे सेमीफाइनल मुकाबले की तैयारी और योजना बनानी होगी।