मप्र पंचायत चुनाव: जानिए ओबीसी को कितना मिलेगा आरक्षण और क्या कहती है बिसेन आयोग की रिपोर्ट
praveen namdev
जबलपुर। प्रदेश में अब किसी भी समय पंचायत और निकाय चुनाव का बिगुल बज सकता है। सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले के बाद सरकार और राजनीतिक दल तैयारी में जुट गए हैं। 50 प्रतिशत आरक्षण के साथ पंचायत और निकाय चुनाव कराने का आदेश दिया है।
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चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट का एक बड़ा फैसला
मध्य प्रदेश में पंचायत और निकाय चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट का एक बड़ा फैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव कराने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बीजेपी जहां अपनी जीत बता रही है तो वहीं कांग्रेस ने इसे हार बताया है सुप्रीम कोर्ट ने 50 प्रतिशत आरक्षण के साथ पंचायत और निकाय चुनाव कराने का आदेश दिया है।
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फैसला ऐतिहासिक है, लेकिन यह बीजेपी की करारी हार: विवेक तन्खा
कांग्रेस से राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा का कहना है सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ऐतिहासिक है। लेकिन यह बीजेपी की करारी हार है। क्योंकि बीजेपी ने केस हारने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। ओबीसी वर्ग को 27प्रतिशत आरक्षण मिलना था। लेकिन अब बीजेपी की कार्यशैली की वजह से 14प्रतिशत आरक्षण ही मिल पाएगा। विवेक तन्खा ने न्यूज़ 18 से बातचीत में बताया कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद अब फिर से वही पुरानी स्थिति बहाल हो गई है। जहां एसटी और एससी आबादी को 36 फ़ीसदी आरक्षण और ओबीसी आबादी को 14 फ़ीसदी आरक्षण ही मिल पाएगा।
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बिसेन आयोग की सिफारिशें
सुप्रीम कोर्ट का पंचायत चुनाव को लेकर आज दिया गया ऐतिहासिक निर्णय बिसेन आयोग की 12 मई की रिपोर्ट के आधार पर ही है। मूल रूप से आज आया यह ऐतिहासिक फैसला बिसेन आयोग की उस दूसरी रिपोर्ट के कारण ही आ पाया है। बिसेन आयोग ने जो रिपोर्ट और सिफारिशें आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दी थीं उसके मुताबिक
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– यदि किसी निकाय में एससी एसटी का आरक्षण मिलाकर 50% या उससे अधिक तो ओबीसी का आरक्षण उस निकाय में शून्य होगा
-यदि किसी निकाय में एससी एसटी का आरक्षण मिलाकर 50 प्रतिशत से कम तो उस निकाय में अधिकतम 50 प्रतिशत की सीमा तक ओबीसी का आरक्षण होगा।
-यदि किसी निकाय में एससी एसटी का आरक्षण मिलाकर 50 प्रतिशत से कम तो वहां ओबीसी का आरक्षण उस निकाय की ओबीसी आबादी से अधिक नहीं होगा।
– किसी भी निकाय में ओबीसी का आरक्षण 35 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा।
-निकाय के जिन पदों में आरक्षण राज्य स्तर पर होते हैं जैसे जिला पंचायत अध्यक्ष, महापौर, नगर पालिका अध्यक्ष ऐसे निकायों की कुल जनसंख्या के आधार पर उपरोक्त सिद्धांतों का पालन करते हुए आरक्षित पदों की संख्या निकाली जाएगी।
– केंद्र द्वारा ओबीसी की सूची में जो जातियां मध्य प्रदेश की ओबीसी सूची में सम्मिलित नहीं है उन जातियों को राज्य की सूची में जोड़ा जाए
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जल्द हो सकते हैं चुनाव
स्पष्ट है कि सुप्रीम कोर्ट में आज हुई सुनवाई के दौरान बिसेन आयोग की उस रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है जो 12 मई को सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई थी। अगर इस रिपोर्ट के मुताबिक देखा जाए तो इन सिफारिशों के आधार पर ही अब आगामी 1 सप्ताह के भीतर प्रदेश सरकार को आरक्षण की प्रक्रिया करनी है। संभवत इन्हीं आधार पर सरकार अब आरक्षण करेगी और जैसे ही प्रक्रिया पूरी होगी उसके बाद निर्वाचन आयोग 1 सप्ताह के भीतर चुनाव कार्यक्रम घोषित कर देगा।
फ़िलहाल ये है प्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायतों की स्थिति
कुल 321 नगरीय निकायो में चुनाव
-इनमें 16 नगर निगम , 79 नगर पालिका परिषद और 226 नगर परिषद
– 23263 ग्राम एवं पंचायत निकायो में चुनाव लंबित
– 22709 पंचायतें , 313 जनपद पंचायत और 5 ज़िला पंचायत शामिल