OBC आरक्षण के साथ हो पंचायत चुनाव, एक हफ्ते में जारी करें अधिसूचना: SC

OBC आरक्षण के साथ हो पंचायत चुनाव, एक हफ्ते में जारी करें अधिसूचना: SC

भोपाल, सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने एमपी में नगरीय निकाय एवं पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ कराने को मान्‍य कर लिया है। लेकिन कोर्ट ने यह भी स्‍पष्‍ट किया है कि आरक्षण का आंकड़ा 50 प्रतिशत से ऊपर न हो।

सत्‍यवेव जयते, सत्‍य कभी पराजित नहीं होता

सुप्रीम  कोर्ट ने एक सप्‍ताह में राज्‍य सरकार को संबंधित निकायों में आरक्षण की अधिसूचना जारी करने और इसके बाद एक सप्‍ताह में राज्‍य चुनाव आयोग को चुनाव की अधिसूचना जारी करने को कहा है। इस आदेश के बाद मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा- सत्‍यवेव जयते, सत्‍य कभी पराजित नहीं होता। ओबीसी के बिना आरक्षण के चुनाव हो इस तरह का पाप कांग्रेस ने किया था, लेकिन उनका षड़यंत्र असफल हुआ। पूर्व मुख्‍यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि यह सरकार की जीत नहीं, यह फैसला तो आना ही था। बीजेपी के प्रदेश अध्‍यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि यह शिवराज सिंह सरकार की जीत है। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्‍यक्ष अरूण यादव ने कहा कि यह ओबीसी वर्ग और भारतीय संविधान की जीत है। इधर, राज्‍य निर्वाचन आयोग के आयुक्‍त बंसत प्रताप सिंह ने कहा है कि अभी सुप्रीम कोर्ट का आदेश प्राप्‍त नहीं हुआ है, जो निर्देश प्राप्‍त होंगे, उसके हिसाब से करेंगे।

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इससे पहले मंगलवार को हुई सुनवाई में सरकार की ओर से राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की ओबीसी आरक्षण संबंधी विस्तृत रिपोर्ट को प्रस्तुत किया गया। सरकार के वकीलों की ओर से लगभग दो घंटे तक ओबीसी आरक्षण के पक्ष में दलील दी गई। कोर्ट ने ओबीसी के लिए आरक्षण तय करने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया के बारे में और जानकारी मांगी थी।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ट्रिपल टेस्ट कराया गया

पिछड़ा वर्ग को नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में आरक्षण देने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ट्रिपल टेस्ट कराया गया। ओबीसी की आबादी, मतदाताओं की स्थिति, प्रतिनिधित्व आदि का विश्लेषण करके सरकार को प्रथम प्रतिवेदन भी सौंप दिया गया था। इसमें कुल मतदाताओं में ओबीसी 48 प्रतिशत बताए गए। इसके आधार पर सरकार से ओबीसी को नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में 35 प्रतिशत आरक्षण देने की अनुशंसा की गई। सुप्रीम कोर्ट में आयोग ने यही रिपोर्ट प्रस्तुत की थी लेकिन यह जिलेवार थी। इसे अधूरा ट्रिपल टेस्ट मानते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को दो सप्ताह में चुनाव की अधिसूचना जारी करने के आदेश दिए थे और कहा था कि ट्रिपल टेस्ट पूरा हुए बिना ओबीसी आरक्षण नहीं दिया जा सकता।

आयोग की ओर से 12 मई को निकायवार और वार्डवार रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी गई थी। सरकार ने इस पर पुनर्विचार के लिए आवेदन लगाकर ओबीसी आरक्षण और नए परिसीमन से चुनाव कराने की अनुमति देने का अनुरोध किया था। याचिकाकर्ता सैयद जाफर के वकील वरुण ठाकुर ने बताया कि आयोग की रिपोर्ट को लेकर सरकार का पक्ष सुना गया। अगली सुनवाई में सरकार की ओर से ट्रिपल टेस्ट के लिए अपनाई गई प्रक्रिया सहित अन्य जानकारी दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण को हरी झंडी दे दी है। पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की विस्तृत रिपोर्ट को अदालत ने देखने के बाद यह फैसला किया है। अदालत ने कहा कि किसी भी परिस्थिति में 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए। साथ ही एक सप्ताह के आधार पर ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव प्रक्रिया शुरू करने के आदेश दिए हैं।

सर्वे के आधार पर निकायवार रिपोर्ट भी सौंपी
सी एम शिवराज सिंह चौहान ने मीडिया से चर्चा में कहा कि सत्‍यवेव जयते, सत्य की जीत हुई है, असत्‍य हमेशा पराजित होता है। मैं, सुप्रीम कोर्ट को प्रणाम करता हूँ, हमने कहा था कि हम चुनाव चाहते है। हमने हर संभव प्रयास किया, ओबीसी आयोग का गठन किया। सर्वे के आधार पर निकायवार रिपोर्ट भी सौंपी। कमलनाथ के विरोध पर शिवराज सिंह ने कहा कि कमलनाथ यह बताएं कि वह बिना तथ्यों के कुछ भी क्यों बोलते हैं, उन्हीं के लोगों के विरोध के कारण ओबीसी आरक्षण अटका। हमने तो यही कहा था कि हम ओबीसी आरक्षण के साथ ही चुनाव चाहते है। लेकिन कांग्रेस ही सर्वोच्‍च न्‍यायालय में गई। कांग्रेस और कमलनाथ का षड़यंत्र पराजित हुआ।

ओबीसी वर्ग के साथ घोर अन्याय: कमलनाथ
कमलनाथ ने कहा कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में केस को सही तरीके से तथ्‍यों के साथ पेश नहीं किया। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में सही स्थिति नहीं रखी गई। उन्होंने कहा कि ओबीसी को वास्तव में केवल 14 फीसदी ही आरक्षण मिलेगा जबकि इस वर्ग की आबादी 56 फीसदी है। सरकार ने सही स्थिति कोर्ट में नहीं रखी और इस कारण ओबीसी वर्ग के साथ घोर अन्याय हुआ है।

केन्‍द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि शिवराज सिंह का ह्रदय से धन्‍यवाद। बीजेपी के प्रदेश अध्‍यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि हमने तो पहले ही कहा था कि हम ओबीसी आरक्षण से चुनाव चाहते है। हमने तो बीजेपी कार्यकर्ताओं को 27 प्रतिशत से ज्‍यादा टिकट देने की बात कही थी। कांग्रेस शुरू से ही हाई कोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट में अड़गे लगाती रही। उन्‍होंने कहा कि ट्रिपल टेस्‍ट के अंतर्गत कहीं पर 27 प्रतिशत से भी ज्‍यादा आरक्षण‍ मिलेगा और कही कम भी।

कांग्रेस का षड़यंत्र बेनकाब हुआ। मंत्री भूपेन्‍द्र सिंह ने कहा यह मध्य प्रदेश सरकारी की बड़ी जीत मिली है। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि ओबीसी आरक्षण पर आज सत्य की जीत हुई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने अपनी बात को माननीय न्यायालय के समक्ष तथ्यों के साथ रखा। हमारे पक्ष को स्वीकार करने के लिए माननीय न्यायालय का बहुत-बहुत आभार। अब सरकार ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव में जाएगी। गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने उच्चतम न्यायालय का आभार माना। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी  धन्यवाद दिया। मिश्रा ने कहा कि हमारी सरकार की जीत हुई। हमारी मेहनत रंग लाई। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में हमने विधि विशेषज्ञों से मिलकर अपनी बात तथ्यों के साथ न्यायालय के समक्ष रखी थी।

कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्‍यक्ष अरूण यादव ने ट्वीट कर कहा कि ओबीसी आरक्षण पंचायत व नगरीय निकाय चुनाव को लेकर शिवराज सरकार की नीयत साफ होती तो सर्वोच्च न्यायालय को हस्तक्षेप करना ही नही पड़ता, सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी कि सरकार ट्रिपल टेस्ट मे फैल हो गई है तो वी जनता की अदालत में पास कैसे होगी ? यह ओबीसी वर्ग और भारतीय संविधान की जीत है।

किसी भी सूरत में आरक्षण 50% से अधिक न हो
सुप्रीम कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि किसी भी सूरत में आरक्षण 50% से अधिक नहीं होना चाहिए। राज्यवार देखें तो प्रदेश में अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग को 16% तथा अनुसूचित जनजाति (एसटी) को 20% आरक्षण मिल रहा है। इस तरह 36% आरक्षण का लाभ मिल रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं होगा। लिहाजा, (50-36=14) 14 फीसदी से ज्यादा नहीं मिलेगा OBC को आरक्षण।

हालांकि, बिना रोटेशन के पंचायत चुनाव कराने के राज्य सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाले कांग्रेस नेता सैयद जाफर ने कहा कि अब जनपद पंचायतों के अनुसार आरक्षण तय होगा। यदि किसी जनपद पंचायत में अनुसूचित जनजाति वर्ग की जनंसख्या 30% और अनुसूचित जाति वर्ग की जनसंख्या 25% है तो ओबीसी को कोई आरक्षण नहीं मिलेगा। वहीं, यदि किसी जनपद पंचायत में अनुसूचित जनजाति वर्ग की जनंसख्या 30% और अनुसूचित जाति वर्ग की जनसंख्या 15% है तो ओबीसी को 5% आरक्षण मिलेगा। यदि जनपद पंचायत में अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति की जनसंख्या 5-5% है। यानी ओबीसी की जनंसख्या 40% है, तो ऐसी स्थिति में ओबीसी वर्ग को 35% से अधिक आरक्षण नहीं मिलेगा।