163 साल पुराने 3 कानूनों में बदलाव लेने के लिए बैठक आज

163 साल पुराने 3  कानूनों में बदलाव लेने के लिए बैठक आज

नई दिल्ली, भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और एविडेंस एक्ट की जगह लेने वाले तीन विधेयकों की जांच कर रही संसदीय कमेटी सोमवार को बैठक करेगी। 27 अक्टूबर को हुई बैठक में कमेटी ने ड्राफ्ट रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया था। कुछ विपक्षी सदस्यों की दलीलों को ध्यान में रखते हुए समिति ने ड्राफ्ट पर और अध्ययन के लिए समय मांगा था।

कमेटी को तीन महीने का समय दिया गया 

कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम समेत कुछ विपक्षी सदस्यों ने कमेटी के अध्यक्ष बृज लाल से डॉफ्ट पर फैसला लेने के लिए दिए गए समय को तीन महीने बढ़ाने का आग्रह किया था। सदस्यों ने कहा था कि चुनावी लाभ के लिए इन विधेयकों को उछालना सही नहीं है। ये विधेयक 11 अगस्त को संसद में पेश किए गए थे। अगस्त में ही इससे जुड़ी ड्राफ्ट गृह मामलों की स्थायी समिति को भेजा गया था। कमेटी को ड्राफ्ट स्वीकार करने के लिए तीन महीने का समय दिया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में 163 साल पुराने 3 मूलभूत कानूनों में बदलाव के बिल लोकसभा में पेश किए थे। सबसे बड़ा बदलाव राजद्रोह कानून को लेकर है, जिसे नए स्वरूप में लाया जाएगा। ये बिल इंडियन पीनल कोड, क्रिमिनल प्रोसिजर कोड और एविडेंस एक्ट हैं।

देश में 5 करोड़ केस पेंडिंग 

कई धाराएं और प्रावधान अब बदल जाएंगे। आईपीसी में 511 धाराएं हैं, अब 356 बचेंगी। 175 धाराएं बदलेंगी। 8 नई जोड़ी जाएंगी, 22 धाराएं खत्म होंगी। इसी तरह सीआरपीसी में 533 धाराएं बचेंगी। 160 धाराएं बदलेंगी, 9 नई जुड़ेंगी, 9 खत्म होंगी। पूछताछ से ट्रायल तक वीडियो कॉन्फ्रेंस से करने का प्रावधान होगा, जो पहले नहीं था। सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब ट्रायल कोर्ट को हर फैसला अधिकतम 3 साल में देना होगा। देश में 5 करोड़ केस पेंडिंग हैं। इनमें से 4.44 करोड़ केस ट्रायल कोर्ट में हैं। इसी तरह जिला अदालतों में जजों के 25,042 पदों में से 5,850 पद खाली हैं। तीनों बिल जांच के लिए संसदीय कमेटी के पास भेजे गए हैं। इसके बाद ये लोकसभा और राज्यसभा में पास किए जाएंगे।

ब्रिटिश काल के शब्द राजद्रोह की जगह देशद्रोह शब्द आएगा

 ब्रिटिश काल के शब्द राजद्रोह को हटाकर देशद्रोह शब्द आएगा। प्रावधान और कड़े किए। अब धारा 150 के तहत राष्ट्र के खिलाफ कोई भी कृत्य, चाहे बोला हो या लिखा हो, या संकेत या तस्वीर या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से किया हो तो 7 साल से उम्रकैद तक सजा संभव होगी। देश की एकता एवं संप्रभुता को खतरा पहुंचाना अपराध होगा। आतंकवाद शब्द भी परिभाषित। अभी आईपीसी की धारा 124ए में राजद्रोह में 3 साल से उम्रकैद तक होती है।

सामुदायिक सजा

 पहली बार छोटे-मोटे अपराधों (नशे में हंगामा, 5 हजार से कम की चोरी) के लिए 24 घंटे की सजा या एक हजार रु. जुर्माना या सामुदायिक सेवा करने की सजा हो सकती है। अभी ऐसे अपराधों पर जेल भेजा जाता है। अमेरिका-्य में ऐसा कानून है।

मॉब लिन्चिंग

मौत की सजा का प्रावधान। 5 या ज्यादा लोग जाति, नस्ल या भाषा आधार पर हत्या करते हैं तो न्यूनतम 7 साल या फांसी की सजा होगी। अभी स्पष्ट कानून नहीं है। धारा 302, 147-148 में कार्रवाई होती है।

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