नरक चतुर्दशी: मृत्यु के देवता यमराज और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा, जानिए पूजा का मुहूर्त और विधि
अकाल मृत्यु से मुक्ति और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए किया जाता है नरक चतुर्दशी का पूजन
हिंदू धर्म में नरक चतुर्दशी के पर्व का बहुत खास महत्व होता है। इसे छोटी दिवाली, रूप चौदस, नरक चौदस, रूप चतुर्दशी अथवा नरका पूजा के नामों से भी जाना जाता है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का विधान है। रूप चौदस के दिन संध्या के समय दीपक जलाए जाते हैं और चारों ओर रोशनी की जाती है। नरक चतुर्दशी का पूजन अकाल मृत्यु से मुक्ति और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए किया जाता है। हर साल यह पर्व कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मनाया जाता है। यानी यह पर्व दिवाली के एक दिन पहले और धनतेरस के एक दिन बाद आता है।
01 बजकर 57 मिनट से चतुर्दशी तिथि की शुरुआत
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 11 नवंबर 2023 को दोपहर 01 बजकर 57 मिनट से हो रही है। इस तिथि का समापन अगले दिन 12 नवंबर 2023 को दोपहर 02 बजकर 44 मिनट पर होगा। छोटी दिवाली यानी नरक चतुर्दशी के लिए प्रदोष काल 11 नवंबर को प्राप्त हो रहा है, इसलिए छोटी दिवाली 11 नवंबर को मनाई जाएगी। ऐसे में जो लोग मां काली, हनुमान जी और यम देवता की पूजा करते हैं वे 11 नवंबर को नरक चतुर्थी यानी छोटी दिवाली का पर्व मनाएंगे।
सूर्योदय से पूर्व स्नान की परंपरा
वहीं नरक चतुर्दशी या रूप चौदस के दिन रूप निखारा जाता है, जिसके लिए प्रात: काल यानी सूर्योदय से पूर्व स्नान की परंपरा है। इसलिए उदया तिथि को देखते हुए कुछ लोग नरक चतुर्दशी 12 नवंबर को मानाएंगे। इसी दिन बड़ी दिवाली भी है।
शाम 05 बजकर 32 मिनट से यम का दीपक जला सकते हैं
नरक चतुर्दशी पर प्रदोष काल में यम दीपक जलाई जाती है, इसलिए 11 नवंबर को यम दीपक जलाई जाएगी। इस दिन शाम को 05 बजकर 32 मिनट से सूर्यास्त होगा, उसके साथ ही प्रदोष काल शुरू हो जाएगा। ऐसे में आप शाम 05 बजकर 32 मिनट से यम का दीपक जला सकते हैं।
नरक चतुर्दशी की उदया तिथि 12 नवंबर को
अभ्यंग स्नान के लिए उदया तिथि महत्वपूर्ण मानी जाती है नरक चतुर्दशी की उदया तिथि 12 नवंबर को प्राप्त हो रही है। इस दिन अभ्यंग स्नान का समय सुबह 05 बजकर 28 मिनट से 06 बजकर 41 मिनट तक है। नरक चतुर्दशी पर सूर्योदय के पूर्व शरीर पर उबटन लगाकर स्नान करने की प्रक्रिया को अभ्यंग स्नान कहा जाता है।
रात 11 बजकर 45 मिनट से देर रात 12 बजकर 39 मिनट तक काली चौदस की
नरक चतुर्दशी पर मां काली की पूजा रात में करते हैं। काली चौदस की पूजा का समय 11 नवंबर को है। इस दिन पूजा का मुहूर्त रात 11 बजकर 45 मिनट से देर रात 12 बजकर 39 मिनट तक है।
कैसे करें नरक चतुर्दशी की पूजा
नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करके साफ कपड़े पहन लें। नरक चतुर्दशी के दिन यमराज, श्री कृष्ण, काली माता, भगवान शिव, हनुमान जी और विष्णु जी के वामन रूप की विशेष पूजा की जाती है। घर के ईशान कोण में इन सभी देवी देवताओं की प्रतिमा स्थापित करके विधि पूर्वक पूजन करें। देवताओं के सामने धूप दीप जलाएं, कुमकुम का तिलक लगाएं और मंत्रों का जाप करें।
नरक चतुर्दशी से जुड़ी मान्यता
नरक चतुर्दशी के दिन यम देवता का पूजन अकाल मृत्यु से मुक्ति के लिए किया जाता है। वहीं पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर नामक असुर का बध किया था। साथ ही इस दिन उबटन लगाकर स्नान किया जाता है, इसलिए इसे रूप चौदस भी कहा जाता है।
दक्षिण दिशा में यमराज के नाम से दीपक जलाएं
नरक चतुर्दशी के दिन यमराज के नाम से दीपक जलाएं और इसे दक्षिण दिशा में रखें। मान्यता है कि यम के नाम का यह दीपक जलाने से पाप नष्ट होते हैं। दक्षिण दिशा पितरों की दिशा मानी जाती है। ऐसे में इस दिशा में दीपक जलाने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही नरक चतुर्दशी के दिन अपने घर के बाहर भी कम से कम 5 या 7 दीपक जलाएं।