पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों से SC सख्त, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को पेश होने को कहा 

पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों से SC सख्त, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को पेश होने को कहा 

नई दिल्ली, पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापनों से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव ( पतंजलि के को-फाउंडर ) और और कंपनी के एमडी आचार्य बालकृष्ण को कोर्ट में पेश होने को कहा है। कंपनी और आचार्य बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट के नोटिस का जवाब नहीं दिया था, जिसकी वजह से कोर्ट ने उन्हें यह अवमानना नोटिस जारी किया है।
नोटिस में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को दो हफ्ते बाद व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए हैं।

कोर्ट ने नोटिसों का जवाब ना देने पर कड़ी आपत्ति की

जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कंपनी और बालकृष्ण को पहले जारी किए गए नोटिसों का जवाब दाखिल नहीं करने पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्हें नोटिस जारी किया और पूछा गया कि उनके खिलाफ क्यों ना अवमानना की कार्यवाही की जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने 27 फरवरी की सुनवाई में पतंजलि आयुर्वेद के गुमराह करने वाले दवा विज्ञापनों पर रोक लगाई थी। इसके अलावा अवमानना कार्यवाही में कारण बताओ नोटिस जारी किया था। दरअसल, कोर्ट ने पिछले साल भ्रामक विज्ञापन जारी नहीं करने का निर्देश दिया था, लेकिन कंपनी ने इसे नजरअंदाज किया।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई कर रही कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से 17 अगस्त 2022 को दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रही है। इसमें कहा गया है कि पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ निगेटिव प्रचार किया। वहीं खुद की आयुर्वेदिक दवाओं से कुछ बीमारियों के इलाज का झूठा दावा किया।

कोर्ट में केस के बावजूद पतंजलि ने जारी किए थे विज्ञापन

कोर्ट में केस के बावजूद कंपनी ने दिसंबर 2023 और जनवरी 224 को प्रिंट मीडिया में विज्ञापनों को प्रकाशित कराया था। जिसकी प्रति आईएमए ने कोर्ट में पेश की थी। इसके अलावा 22 नवंबर 2023 को पतंजलि के सीईओ बालकृष्ण के साथ योग गुरु बाबा रामदेव की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के बारे में भी बताया गया था। जिसमें पतंजलि ने इन विज्ञापनों में मधुमेह और अस्थमा को पूरी तरह से ठीक करने का दावा किया था।

हर एक प्रोडक्ट के झूठे दावे पर 1 करोड़ रुपए तक जुर्माना लगा सकता है

आईएमए ने यह भी बताया कि कंपनी ने ये प्रेस कॉन्फ्रेंस सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के ठीक एक दिन बाद की थी। इसके पहले 21 नवंबर 2023 को सुनवाई के दौरान जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा था- पतंजलि को सभी भ्रामक दावों वाले विज्ञापनों को तुरंत बंद करना होगा। कोर्ट इस तरह के उल्लंघन को बहुत गंभीरता से लेगा और हर एक प्रोडक्ट के झूठे दावे पर 1 करोड़ रुपए तक जुर्माना लगा सकता है। 

पतंजलि भ्रामक दावे करके देश को धोखा दे रही: कोर्ट

सुनवाई में बेंच ने यह भी कहा था कि पतंजलि भ्रामक दावे करके देश को धोखा दे रही है कि उसकी दवाएं कुछ बीमारियों को ठीक कर देंगी, जबकि इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है। कोर्ट ने कहा, पतंजलि ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज ( आपत्तिजनक विज्ञापन ) एक्ट में बताई गई बीमारियों के इलाज का दावा करने वाले अपने प्रोडक्ट्स का विज्ञापन नहीं कर सकती।

कंपनी के विज्ञापनों पर नजर रखने का निर्देश 

इस मामले में कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि पतंजलि के विज्ञापनों के खिलाफ ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज ( आपत्तिजनक विज्ञापन ) अधिनियम 1954 के तहत क्या एक्शन किया। केंद्र सरकार की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इस बारे में डेटा इकट्ठा किया जा रहा है। हालांकि, सरकार के इस जवाब पर कोर्ट ने नाराजगी जताई और कंपनी के विज्ञापनों पर नजर रखने का निर्देश दिया।

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