पशुपालन विभाग के शासन सचिव ने पशु चिकित्सालयों और भेड़ प्रजनन फार्म फतेहपुर का निरीक्षण किया

पशुपालन विभाग के शासन सचिव ने पशु चिकित्सालयों और भेड़ प्रजनन फार्म फतेहपुर का निरीक्षण किया

सभी स्तर के संस्थानों के लिए मासिक नॉर्म्स और टारगेट तय करने के दिये निर्देश

जयपुर। पशुपालन, मत्स्य एवं गोपालन विभाग के शासन सचिव डॉ समित शर्मा ने गुरुवार को  रामपुरा डाबड़ी तथा रींगस में पशु चिकित्सालय का निरीक्षण किया। चिकित्सालयों में पशु चिकित्सक सहित अन्य सभी कार्मिक उपस्थित पाए गए। डॉ शर्मा ने निरीक्षण में पाया कि पशु चिकित्सालय नियमित रूप से खुल रहा है और वहां अटेंडेस मैनेजमेंट सिस्टम के माध्यम से नियमित उपस्थिति दर्ज की जा रही है। निरीक्षण के दौरान शासन सचिव के साथ अतिरिक्त निदेशक डॉ प्रवीण सेन तथा वरिष्ठ अधिकारी डॉ हेमंत पंत, डॉ पुरुषोत्तम और डॉ प्रवीण कौशिक भी उपस्थित थे।

शासन सचिव ने सीकर जिले के फतेहपुर स्थित भेड़ प्रजनन फार्म का भी निरीक्षण किया। वहां पर डॉ. यासीन बहलिन के साथ उनका पूरा स्टाफ उपस्थित था। वहां पर सभी की उपस्थिति एएमएस एप पर दर्ज हो रही है। डॉ शर्मा ने बताया कि डॉ यासीन विकट परिस्थितियों में बेहतरीन कार्य कर रहे हैं जिसके लिए उन्हें फार्म पर ही प्रशस्ति पत्र जारी किया गया। शासन सचिव ने इस दौरान राजलदेसर स्थित गौशाला का भी निरीक्षण किया। उन्होंने गौशाला की समस्त गतिविधियों और प्रबंधन के विषय में जानकारी ली। वहां की बेहतर व्यवस्थाओं के लिए गौशाला प्रबंध समिति को मौके पर ही प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।

उल्लेखनीय है कि डॉ शर्मा शुक्रवार को बीकानेर के राष्ट्रीय ऊष्ट्र अनुसंधान संस्थान में भारत सरकार के सहयोग से ऊंटों के संरक्षण और संवर्द्धन पर आयोजित संगोष्ठी में भाग लेंगे।

बाद में डॉ शर्मा ने बताया कि कई संस्थाओं में उपलब्ध संसाधन और मानव श्रम का समुचित सदुपयोग नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि संस्था में मात्र समय पर उपस्थित हो जाना ही पर्याप्त नहीं है, सक्रिय होकर कार्य का संपादन करना भी हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि अस्पतालों के ओपीडी में पशुओं की संख्या बढ़ाने पर जोर देते हुए कहा कि कुछ अस्पताल और डॉक्टर्स ऐसे भी हैं जहां पशुओं और पशुपालकों की लाइन लगती है, क्योंकि वहां डॉक्टर्स रुचि और मेहनत से काम करते हैं। हमारे सभी संस्थान और डॉक्टर्स ऐसे ही होने चाहिए जिससे विभाग की और डॉक्टर्स की पहचान बन सके। उन्होंने विभाग के निदेशक और अधिकारियों को सभी स्तर के संस्थानों के लिए मासिक नॉर्म्स और टारगेट तय करने के निर्देश दिए।

डॉ शर्मा ने पशुपालन विभाग के नाम से असुरक्षित पड़ी जमीनों का जिक्र करते हुए कहा कि अनेक स्थानों पर उन पर अतिक्रमण हो रहा है। उन्होंने निदेशालय के अधिकारियों को निर्देश दिया कि राज्य में पशुपालन विभाग की जमीनों की सूचना एकत्रित कर अतिक्रमण वाली जमीनों को चिन्हित करें जिससे जिला कलक्टर एवं न्यायिक संस्थाओं के माध्यम से उन्हें सुरक्षित किया जा सके।

डॉ शर्मा ने टीकाकरण योजनाओं के समुचित पर्यवेक्षण पर बल देते हुए निर्देश दिया कि टीकों के समुचित  रखरखाव हेतु एक स्टैंडर्ड ऑपरेंटिंग प्रोसीजर बनाकर सभी जिलों के माध्यम से संस्थाओं को भेजा जाए। उन्होंने टीकों के शीत संधारण के लिए विभाग के कार्मिकों के आमुखीकरण के निर्देश भी दिए। उन्होंने पशुओं के टैग की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए जिला स्तर पर अभियान चलाकर आईओएमएमएस पर उपभोग का इंद्राज कराने के निर्देश दिए।

उन्होंने कहा कि कई पशु चिकित्सालयों में स्थाई सामग्री अधिक मात्रा में हैं और जिनका उपयोग नहीं हो रहा है। उन्होंने ऐसे सामानों को आवश्यकतानुसार अन्य संस्थानों में वितरित करने का निर्देश दिया जिससे उस सामग्री का समुचित उपयोग हो सके।

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