रसिकजनों को आनंदित कर गई सारंगी व तबला की जुगलबंदी 

रसिकजनों को आनंदित कर गई सारंगी व तबला की जुगलबंदी 

रसिकजनों को आनंदित कर गई सारंगी व तबला की जुगलबंदी 

रज़ा कला वीथिका में शिल्पकृतियों की प्रदर्शनी का हुआ शुभारंभ

मण्डला - शरद पूर्णिमा के अवसर पर रज़ा फाउंडेशन नई दिल्ली द्वारा जिला पुरातत्व पर्यटन एवं संस्कृति परिषद मंडला के सहयोग से रज़ा कला वीथिका में शिल्पकृतियों की प्रदर्शनी और सारंगी व तबला वादन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम सेवानिवृत वरिष्ठ आईएएस सुखदेव प्रशाद दुबे के मुख्य आतिथ्य, पुलिस अधीक्षक यशपाल सिंह राजपूत की अध्यक्षता और भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष भीष्म द्धिवेदी व जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट राकेश तिवारी के विशिष्ट आतिथ्य में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में सारंगी और तबला की बेमिसाल जुगलबंदी देखने को मिली। ग्वालियर के मशहूर कलाकार शफीक हुसैन व उनकी बेटी अल्फिया खान ने सारंगी वादन प्रस्तुत किया। अल्फिया खान की यह पहली लाइव परफॉरमेंस थी। तबला में संगत भिलाई के कलाकार रामचंद्र सर्पे और उनकी बहन पुनम सर्पे ने की।

अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन कर शिल्पकृतियों की प्रदर्शनी और सारंगी व तबला वादन की शुरुआत की गई। इस प्रदर्शनी में  08 अक्टूबर से 17 अक्टूबर 2021 तक आयोजित मूर्तिकारों के रज़ा शिविर में तैयार शिल्पकृतियों को प्रदर्शित किया गया है। इस प्रदर्शनी में बस्तर के धरम नेताम, राजनांदगांव की मनीषा वर्मा, जबलपुर की  आरती नागले व सुषमा सरोज, अमरकंटक के जयपाल सिंह टेकाम, बालोद के सुरेश कुमार कुंभकार, ग्वालियर के अनिल बाथम और मण्डला के आशीष कछवाहा, भंगी लाल हरदहा, मनोज द्धिवेदी, प्रवीण सैयाम, राम कुमार नंदा, कुलदीप ठाकुर की शिल्पकृतियों को प्रदर्शित किया गया है। अतिथियों द्वारा भ्रमण कर शिल्प कृतियों का अवलोकन कर शिल्पकारों की कारीगरी की सराहना की गई। सारंगी और तबला वादन का श्रोताओं ने खूब आनंद लिया। इसमें राग यमन में विलम्बित एक ताल, दुर्त तीन ताल व राग मधु सुरावाली में राग खमाज मिश्र में धुन राग भैरवी से कार्यक्रम का समापन किया गया। समापन के पूर्व रसिकजनों की फरमाइश पर सारंगी में याद पिया की आये, इन्ही लोगों ने ले लीना दुपट्टा मेरा, ठारे रहियों, पधारों मारे देश केसरिया बलाम की धुन छेड़कर मंत्रमुग्ध कर दिया।

मीडिया से बात करते हुए सारंगी वादक शफ़ीक़ हुसैन ने कहा कि यहां के श्रोता बहुत बढ़िया थे। यदि सुनने वाले कदरदान नहीं होंगे, तो बताने में मजा नहीं आता। यहां सुनने वाले इतने बढ़िया लोग थे इसलिए सुनाने में बड़ा मजा आया। राग यमन से शुरुआत की, फिर मधु अरावली, फिर कुछ गजलों का अंदाज, बजाने का तरीका और सारंगी में क्या-क्या विशेषताएं है, यह सारी चीजें बचाना जरूरी है ताकि लोगों को लगना चाहिए कि क्या बज रहा है। कुछ लोग सारंगी को अंधा वाद यंत्र समझते हैं लेकिन इसको टेक्निकल से बजाने की जरूरत है, सीखने की जरूरत है। आप उसको हर तरह से बजा सकते हैं। 100 प्रकार - 100 रंग उसका ऐतिहासिक विषय यही है। मैं तो यह कहता हूं कि ख्याल गायकी का सबसे करीबी इंस्ट्रूमेंट जो है वह सारंगी ही है और कथक डांस में सारंगी डांस का दिल है। मैं अपनी तरफ से सोचता हूं कि जिसके लिए मुझे बुलाया गया है, मैं उनको खुश करू। उनकी फरमाइश जो भी है उसको प्ले करने की कोशिश करू। अगर मुझे नहीं आता तो फिर से कोशिश करू।

आयोजक गजेंद्र सोनी ने बताया कि महान चित्रकार सैयद हैदर रज़ा का शताब्दी वर्ष है। शताब्दी वर्ष में रज़ा फाउंडेशन द्वारा पूरे देश में एक साथ बहुत से सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इसमें अलग-अलग तरह के आयोजन चल रहे है। यह सभी कार्यक्रम कला पर आधारित हैं। इसमें संगीत, कला, लेखन, गायन, वादन, काव्य पाठ आदि शामिल है। इसी श्रृंखला के अंतर्गत हमने मंडला में मूर्ति कला कार्यशाला का आयोजन किया था जो कि 8 अक्टूबर से 17 अक्टूबर तक आयोजित थी। उसमें जो मूर्तियां तराशी गई उन्हें यहां राजा कला वीथिका में प्रदर्शित किया है, जो आम दर्शकों के लिए 1 सप्ताह तक सुबह 11:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक खुली रहेगी। शरद पूर्णिमा पर सारंगी व तबला वादन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। चूंकि यह रज़ा साहब का शताब्दी वर्ष है इसलिए अलग -अलग तरह के नियमित आयोजन चलता रहेगे। हम हर माह कला से जुडी कोई न कोई नई चीज़ आयोजित करने का प्रयास करेंगे।

इस दौरान प्रसिद्ध तबला गुरु सुरेश भट्ट, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गजेन्द्र सिंह कँवर, श्रीमती हेमंतिका शुक्ला, श्रीमती प्रीती सोनी, प्रफुल्ल मिश्रा, विनय मिश्रा, सुधीर कसार, जयदत्त झा, सुनील दुबे, जगदीश कछवाहा, राजेंद्र (पप्पू) शर्मा, चंद्रेश खरे, संजीत पांडेय, शोभराज पांडेय, प्रवीण उपाध्याय, अनिल भोयर, विनय श्रीवास्तव, अजय श्रीवास्तव, संजय श्रीवास्तव, रिंकू अग्निहोत्री, सुव्रत पटेल, दीपमनी खैरवार, रानू चंद्रौल, गरिमा ताम्रकार सहित बड़ी संख्या में शास्त्रीय संगीत के शौकीन मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन गजेन्द्र सोनी ने किया।