अहोई अष्टमी पर मथुरा के राधा कुंड में स्नान से होती है संतान प्राप्ति, जानिए कुंड का महत्व
मथुरा। श्री कृष्ण मंदिरों के अलावा मथुरा में कई ऐसे स्थान हैं, जिनका बहुत महत्व है। उन्हीं महत्वपूर्ण स्थानों में विशेष स्थान है राधा कुंड, जिसमें अहोई अष्टमी के दिन स्नान करने का धार्मिक महत्व इतना है कि लोग देशभर से राधा कुंड पहुंचते हैं। मान्यता है कि अहोई अष्टमी के दिन इस कुंड में पती पत्नी द्वारा स्नान करने से संतान प्राप्ति की मनोकामना पूरी होती है। इस साल अहोई अष्टमी 24 अक्टूबर 2024 के दिन पड़ रही है।
अहोई अष्टमी ब्रत रखने से मिलता है संतान सुख
हिन्दू धर्म में अहोई अष्टमी का बहुत महत्व माना जाता है। अहोई अष्टमी का व्रत माताओं द्वारा अपनी संतान के लिए रखा जाता है। इस व्रत को निर्जला रखने के विधान है। अहोई अष्टमी का व्रत वह महिलाएं भी रखती हैं जिनकी कोई संतान नहीं है। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से संतान प्राप्ति के मार्ग खुल जाते हैं और साथ ही, संतान का भविष्य, उसका स्वास्थ्य, उसका जीवन उज्जवल होता है।
राधाकुंड में अहोई अष्टमी पर स्नान का महत्व
राधा कुंड मथुरा से लगभग 26 किमी दूर गोवर्धन परिक्रमा मार्ग में पड़ता है। अहोई अष्टमी पर राधा कुंड में स्नान का विशेष महत्व है। हर साल अहोई अष्टमी के दिन राधा कुंड पर स्नान के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है। अहोई अष्टमी के दिन राधा कुंड में स्नान को शाही स्नान (पवित नदी में स्नान के नियम) भी कहा जाता है।
राधा कुंड में स्नान से सुखमय वैवाहिक जीवन के साथ मिलता है संतान सुख
अहोई अष्टमी के दिन राधा कुंड में पति-पत्नी साथ में स्नान करें तो इससे वैवाहिक जीवन तो मधुरता आती है, साथ ही नि:संतान दंपत्ति को संतान सुख की प्राप्ति भी होती है। ऐसा माना जाता है कि जो भी स्त्री इस कुंड में अपने पति के साथ स्नान करती है उसकी होने वाली संतान तेजस्वी होती है।
संतान का भविष्य होता है उन्नतिपूर्ण
ऐसी मान्यता है कि अहोई अष्टमी के दिन राधा कुंड में स्नान करने से संतान का भविष्य उन्नतिपूर्ण होता है। संतान का भाग्य जाग उठता है और संतान के जीवन में अपार सफलता आने लगती है। वहीं, गर्भवती स्त्री के राधा कुंड में स्नान करने से संतान का स्वास्थ्य हमेशा उत्तम बना रहता है। कोई भी बीमरी संतान को घेर नहीं पाती है।
राधा कुंड में स्नान का महत्व
अहोई अष्टमी के सुबह दिन पर, जो दंपत्ति राधा कुंड के पवित्र जल में स्नान करते हैं उन्हें अहोई माता के साथ-साथ राधा कृष्ण का भी आशीर्वाद मिलता है। जिन दंपत्तिायों को संतान नहीं हो रही है, ऐसे लोगों के लिए राधा कुंड का स्नान बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि अहोई अष्टमी के दिन, जो दंपत्ति राधा कुड में स्नान करते हैं, उन्हें संतान की प्राप्ति होती है। और जिन दम्पत्तियों की मनोकामना पूरी होती है, वो अपने बच्चे को लेकर यहां आते हैं और सुबह राधा कुंड में स्नान करने के बाद बच्चों का मुंडन कराते हैं।
पुराणों में वर्णित है कुंड में स्नान का महत्व
अहोई अष्टमी स्नान के लिए राधाकुंड, श्यामकुंड का धार्मिक महत्व पुराणों में बताया है। पुराने समय में राधाकुंड को अरिष्ठासुर नाम के राक्षस का नगर अरिष्ट वन के नाम से जाना जाता था। ये राक्षस काफी शक्तिशाली था। ऐसा कहा जाता है, इसकी दहाड़ शेर से भी ज्यादा तेज थी, इतनी तेज कि गर्भवती महिलाओं का गर्भपात तक हो जाता था। फिर राक्षस ने कंस के कहने पर गाय के बछड़े का रूप धारण कर बाल रूप श्री कृष्ण पर प्रहार किया।
भगवान कृष्ण और राधा ने अहोई अष्टमी की आधी रात को दो कुंडों का निर्माण किया
कृष्ण ने बछड़े के रूप में आए इस राक्षस का वध कर दिया। जिसके बाद उन पर गाय की हत्या करने का पाप लगा। पाप से मुक्ति के लिए अहोई अष्ठमी की आधी रात को भगवान कृष्ण और राधा ने दो कुंडों का निर्माण हुआ, जिसमें से एक राधाकुंड है, दूसरा श्यामकुंड।