बदलेगी भारतीय सेना की वर्दी, हटेंगे गुलामी के निशान

बदलेगी भारतीय सेना की वर्दी, हटेंगे गुलामी के निशान

नई दिल्ली। अंग्रेजों के 200 से भी ज्यादा वर्षों तक भारत को गुलाम बनाए रखा। यही नहीं उनके देश छोड़कर भागने के बाद भी कई वर्षों से उनकी हुकूमत की कई चीजें भारत के जख्मों को ताजा बनाए हुए हैं। यही वजह है कि अब देश में अंग्रेजों की गुलामी के निशान को हटाने की कवायद शुरू हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में नौसेना के नए झंडे का अनावरण किया, जिसपर से अंग्रेजी हुकूमत की निशान रेड क्रॉस को हटा दिया गया। बताया जा रहा है कि, अब ये सिलसिला आगे भी जारी रहेगा। भारतीय सेना में जारी उन सभी परिपाटियों को खत्म करने की तैयारी चल रही है, जो हमें अंग्रेजी शासन की याद दिलाती है।

इसे भी देखें

भोपाल गैस कांड: मुआवजा बढ़ाने की याचिका पर SC ने केंद्र से मांगा जवाब

जल्द की बदल सकती है भारती सेना की वर्दी
सबकुछ ठीक योजना के मुताबिक रहा तो जल्द ही भारतीय सेना की वर्दी बदल सकती है। यही नहीं आने वाले समय में सैनिकों की वर्दी, समारोहों के साथ-साथ रेजीमेंटों और इमारतों के नामों में बदलाव किया जाएगा। इसको लेकर 22 सितंबर को यानी गुरुवार को एक अहम मीटिंग होना है। इस बैठक में सेना के एडजुटेंट जनरल प्रचलित रीति-रिवाजों, पुरानी प्रथाओं और नीतियों की समीक्षा करेंगे। माना जा रहा है कि इस बैठक में आने वाले समय में कब-कब क्या बदलाव किए जाएं इस पर भी अहम चर्चा होगी।

इसे भी देखें

उन्नत किस्म के गेहूं के बीज दे रहा भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करें ऑनलाइन बुकिंग

क्या है एजेंडा नोट?
समीक्षा बैठक के एजेंडा नोट के मुताबिक, यह पुराने और अप्रभावी प्रथाओं को हटाने का समय है। दरअसल सेना की वर्दी और साज-सामान में परिवर्तन लाने पर विचार किया जा रहा है। इन पर से अंग्रेजी हुकूमत की छाप को हटाने की कवादय शुरू होगी। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि कंधे के चारों ओर की रस्सी रहेगी या नहीं। इसके अलावा रेजिमेंटों के नाम पर भी विचार किया जाएगा। दरअसल सिख, गोरखा, जाट, पंजाब, डोगरा, राजपूत और असम जैसी इन्फैंट्री रेजिमेंटों का नाम अंग्रेजों की ओर से ही रखा गया था।

इसे भी देखें

मदरसों के बाद अब योगी करांएगे वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का सर्वे, जारी किए आदेश

पीएम मोदी स्वदेशीकरण पर दे चुके जोर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद स्वदेशीकरण पर जोर दे चुके हैं। बीते वर्ष संयुक्त कमांडरों के एक सम्मेलन में उन्होंने सशस्त्र बलों में सिद्धांतों, प्रक्रियाओं और रीति-रिवाजों के स्वदेशीकरण पर जोर दिया था। उन्होंने तीनों सेनाओं को उन प्रणालियों और प्रथाओं से छुटकारा पाने की सलाह दी थी, जिनकी उपयोगिता और प्रासंगिकता खत्म हो चुकी है। यानी इशारे में ही सही उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के निशान को मिटाने की बात कही थी।

इसे भी देखें

श्रद्धा और विज्ञान का यह एक अद्भुत मेल है पितृपक्ष, जानिए वैज्ञानिक महत्व

- देश-दुनिया तथा खेत-खलिहान, गांव और किसान के ताजा समाचार पढने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म गूगल न्यूज, फेसबुक, फेसबुक 1, फेसबुक 2,  टेलीग्राम,  टेलीग्राम 1, लिंकडिन, लिंकडिन 1, लिंकडिन 2, टवीटर, टवीटर 1, इंस्टाग्राम, इंस्टाग्राम 1, कू ऐप से जुडें- और पाएं हर पल की अपडेट.