CPEC संबंधी कर्ज बढ़ रहा, गंभीर संकट में फंस सकता है पाकिस्तान: ADB के अध्यक्ष 

इस्लामाबाद/मनीला 
कर्ज लेकर पाकिस्तान में चल रहा विकास कार्य आगे चलकर उसकी अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर सकता है। एशियन डिवेलपमेंट बैंक (ADB) के अध्यक्ष ताकेहिको नकाओ ने कहा है कि पाकिस्तान ने भले ही पिछले कुछ वर्षों में तरक्की की हो पर बढ़ता कर्ज और तेजी से घटता विदेशी मुद्रा भंडार उसके लिए गंभीर चुनौती पेश कर सकता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने विकास किया है लेकिन उसे काफी सतर्कता बरतने की जरूरत है। कई जानकार इस बात पर चिंता व्यक्त कर चुके हैं कि CPEC को लेकर पाकिस्तान का बढ़ता कर्ज उसे गंभीर संकट में फंसा सकता है।
 

एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक एक मीटिंग के दौरान ताकेहिको ने कहा, 'मैं 2 बार पाकिस्तान गया और वहां विकास दिखता है।' यह टिप्पणी महत्वपूर्ण है क्योंकि GDP ग्रोथ मौजूदा वित्त वर्ष के आखिर तक 12 साल के उच्च स्तर को छू लेगी। वित्त वर्ष 2014 में जीडीपी ग्रोथ 4.1% थी जो बढ़कर 5.8% हो गई है। देश की मौजूदा PML-N सरकार अपने टारगेट को मिस कर सकती है लेकिन सुधार हुआ है। हालांकि इस विकास की कहानी के भी दो पहलू हैं और दूसरे पक्ष को बेहतर नहीं कहा जा सकता है। 

 
पहला, पाकिस्तान में जो भी विकास दिखता है उसके पीछे भारी कर्ज है। ऐसे में सतत विकास की जरूरत महसूस की जा रही है। पाकिस्तान को सबसे बड़ा कर्ज चीन-पाक आर्थिक गलियारे (CPEC) के तहत लेना पड़ा है। दिसंबर 2017 में पाकिस्तान का कुल कर्ज बढ़कर 22.8 ट्रिलियन रुपये (22.8 लाख करोड़ रुपये) हो गया था। पाकिस्तान ने विदेशी मुद्रा भंडार को संतुलित करने के लिए भी कर्ज लिया हुआ है। 

हाल ही में पेइचिंग में बेल्ट ऐंड रोड कॉन्फ्रेंस के दौरान IMF की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टीन लेगार्ड ने कहा था कि बेल्ड ऐंड रोड इनिशटिव (BRI) के तहत संबंधित देशों को बढ़िया इन्फ्रास्ट्रक्चर मिल सकता है लेकिन इसे 'फ्री लंच' नहीं समझना चाहिए। उन्होंने BRI के कारण बढ़ते वैश्विक कर्ज को लेकर चिंता भी जताई। 

 
पाकिस्तान जैसे देश के लिए यह गंभीर चिंता की बात है, जो पहले से ही कर्ज में फंसे हुए हैं। 46 अरब डॉलर का इन्वेस्टमेंट प्रॉजेक्ट अब बढ़कर 62 अरब डॉलर का हो चुका है। इसका मतलब यह है कि अगले 30 वर्षों में पाकिस्तान को अरबों डॉलर का कर्ज चुकाना होगा। IMF ने आशंका व्यक्त करते हुए पाक सरकार को आगाह किया है कि इसके विपरीत नतीजे सामने आ सकते हैं। 

इस मसले पर नकाओ ने कहा कि कनेक्टिविटी महत्वपूर्ण है और ADB भी सहयोग करना चाह रहा है लेकिन ऐसे समय में आर्थिक हकीकत और इसके पूरे होने की संभावना पर विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, 'अगर हम उधार लिए पैसे से निवेश करते हैं तो हमें इकनॉमिक रिटर्न की जरूरत है। अगर कोई भी देश कार्य के पूरा होने या इसकी व्यावहारिकता पर विचार किए बिना ही उधार लेता है तो उसे दोबारा कर्ज चुकाने में मुश्किल आ सकती है।' 

उन्होंने जोर देकर कहा, 'मैं लेगार्ड की चिंताओं से सहमत हूं। BRI जैसे प्रॉजेक्ट पर कर्ज लेने से पहले हमें इस पर गंभीर विचार करना चाहिए।' प्रेजिडेंट ने कहा कि चीन और पाकिस्तान के संबध अच्छे चल रहे हैं, यह सुखद संकेत है। हालांकि उन्होंने अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर पर चिंता जताई और कहा कि अगर दोनों देशों में कारोबारी संबंध बिगड़ते हैं तो एशियाई देशों को भी इससे नुकसान होगा। 

खिलाफ है भारत 
CPEC प्रॉजेक्ट से भारत नाराज है, क्योंकि यह पीओके से होकर गुजरता है। यह भी सच है कि BRI पहल में पारदर्शिता का अभाव है और इसे मनमाने तरीके से लागू किया जा रहा है।