नीट काउंसिलिंग पंजीयन शुल्क से भारत सरकार ने कमाया 15.50 करोड़

नीट काउंसिलिंग पंजीयन शुल्क से भारत सरकार ने कमाया 15.50 करोड़
भोपाल। सरकार चाहे केंद्र की हो या राज्यों की, दल कोई भी हो, सभी युवाओं और बेरोजगारी के मुद्दों पर छाती ठोककर खुद को एक-दूसरे से बड़ा हमदर्द बताते नहीं थकते हैं, मगर यह आश्चर्यजनक है कि चिकित्सा शिक्षा महाविद्यालयों में दाखिले के लिए राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नीट) के तहत होने वाली काउंसिलिंग में ही भारत सरकार ने बीते साल (2018-19) 15.50 करोड़ रुपए का मुनाफा कमा लिया है। यह खुलासा सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मिली जानकारी से हुआ है। देश के चिकित्सा शिक्षा महाविद्यालयों में पाठ्यक्रम (एमबीबीएस, बीडीएस आदि) में दाखिले के लिए नीट परीक्षा आयोजित की जाती है। लिखित परीक्षा में निर्धारित परसेंटाइल (अंक प्रतिशत) पाने के बाद ही विद्यार्थियों को काउंसिलिंग में हिस्सा लेने की पात्रता मिलती है। मेडिकल काउंसिलिंग कमेटी ने वर्ष 2018-19 से काउंसिलिंग पंजीयन शुल्क की शुरूआत की। इससे पहले विद्यार्थियों से काउंसिलिंग शुल्क लेने का प्रावधान नहीं था। वसूल की गई राशि का मिला ब्यौरा मध्य प्रदेश के नीमच निवासी सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं कल्याण मंत्रालय से काउंसिलिंग में भाग लेने वाले विद्यार्थियों से पंजीयन शुल्क के तौर पर वसूली गई राशि और खर्च का ब्यौरा मांगा। इस पर उन्हें जवाब दिया गया कि वर्ष 2015, 2016 और 2017 में हुई काउंसिलिंग में विद्यार्थियों से कोई पंजीयन शुल्क नहीं लिया गया, मगर वर्ष 2018-19 की काउंसिलिंग में शामिल हुए विद्यार्थियों से पंजीयन शुल्क लिया गया। सरकार के खाते में गई राशि गौड़ को दिए गए जवाब में स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि वर्ष 2018-19 में कुल 114,198 विद्यार्थियों ने कांउसिंलिंग के लिए पंजीयन कराया, जिनसे पंजीयन शुल्क के तौर पर 18,32,87,500 (18 करोड़ 32 लाख 87 हजार 500) रुपए की राशि वसूली गई। इसमें से काउंसिलिंग प्रक्रिया पर कुल 2,76,78,614 रुपए खर्च हुए। इसमें 15,56,08,886 (15 करोड़ 56 लाख 08 हजार 886) रुपए की राशि शेष बची है, और इसे भारत सरकार के खाते में जमा कराया जाएगा। इनका कहना है काउंसिलिंग के लिए पंजीयन शुल्क केंद्र सरकार को खत्म करना चाहिए। यदि शुल्क खत्म नहीं किया जाता है तो आगामी सालों में यह शुल्क न लेकर वर्ष 2018-19 में पंजीयन शुल्क से हुए मुनाफे की राशि से काउंसिलिंग प्रक्रिया संपादित की जानी चाहिए। चंद्रशेखर गौड़, सामाजिक कार्यकता, मप्र