GST दर कम करने को लेकर जेतली दबाव में

GST दर कम करने को लेकर जेतली दबाव में

नई दिल्ली  

 3 राज्यों में भाजपा की भारी हार के बाद भाजपा नेतृत्व ने वित्त मंत्री अरुण जेतली से साफ कहा कि वह जीएसटी दरों में कमी लाएं। कहा गया है कि आम उपभोक्ता वस्तुओं पर जी.एस.टी. दर 28 से घटाकर 18 प्रतिशत की जानी चाहिए। कम से कम ऐसी 35 वस्तुएं हैं जिन पर 28 प्रतिशत से ज्यादा जी.एस.टी. है। इनमें सीमैंट, पेंट, सिरेमिक टाइल्स और निर्माण उद्योग से जुड़ी चीजें हैं। अगर निर्माण उद्योग में तेजी लानी है तो सीमैंट और पेंट उद्योग में भी तेजी लाने की कोशिश करनी होगी। होटल उद्योग भी राहत के लिए परेशान है, क्योंकि होटलों में 7500 रुपए से ज्यादा रैंट वाले रूम पर 28 प्रतिशत लग्जरी टैक्स है जबकि एयरकंडीशनर्स अब लग्जरी आइटम में नहीं आते।
 जेतली का तर्क है कि जी.एस.टी. तहत जो रकम आई है वह 1 लाख करोड़ से कम है। ऐसे में अगर उन्होंने जी.एस.टी. दरों में कमी की तो बजट घाटा और भी बढ़ेगा लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कह दिया है कि उन्हें 2019 का लोकसभा चुनाव जीतना है और इसलिए दरों को कम करना होगा। जेतली को कोई रास्ता निकालने का स्पष्ट संकेत दे दिया गया है। जेतली चाहते हैं कि रिजर्व बैंक उन्हें फंड दे जिससे वह बजट घाटे की पूर्ति कर सकें। जिन 35 वस्तुओं पर 28 प्रतिशत जी.एस.टी. है, जेतली उनकी संख्या 24 कर सकते हैं। इसका मतलब है कि 11 चीजों पर छूट मिलेगी।
 सबसे बड़ी चिंता यह है कि अगर सीमैंट पर 28 प्रतिशत जी.एस.टी. को कम कर दिया जाएगा, तब 10 हजार करोड़ रुपए का घाटा सिर्फ एक वर्ष में होगा। लेकिन अमित शाह का कहना है कि इससे निर्माण उद्योग में तेजी आएगी और सड़क निर्माण का काम भी आगे बढ़ेगा। इससे सरकार को मिलने वाले राजस्व में वृद्धि होगी। इधर, स्कूलों के विद्यार्थी बिस्कुट पर जी.एस.टी. दर 5 प्रतिशत चाहते हैं जो अभी 19 प्रतिशत है। इसी तरह चॉकलेट, पास्ता, साबुन, हेयर ऑयल जैसी चीजों पर भी 18 प्रतिशत जी.एस.टी. है। मांग है कि इन्हें 12 प्रतिशत तक लाया जाए। केंद्र सरकार इसे लेकर भारी दबाव में है, क्योंकि चुनाव को देखते हुए राज्य टैक्स में कमी चाहते हैं। जी.एस.टी. काऊंसिल की बैठक अगले हफ्ते होने वाली है। उम्मीद की जा सकती है कि इसमें जेतली जी.एस.टी. के सवाल पर झुकेंगे।