IPL टाइटल स्पॉन्सरशिप अधिकार हासिल करने के लिए अनअकैडमी लगाएगी बोली

नई दिल्ली
शिक्षा प्रोद्यौगिकी कंपनी 'अनअकैडमी' इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के प्रायोजकों में से एक है और अब उसकी निगाहें लीग के टाइटल प्रायोजन अधिकार हासिल करने पर लगी हैं। और वह इस साल चीनी मोबाइल फोन कंपनी वीवो की जगह लेने के लिए अपनी बोली सौंपने को तैयार है। भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के एक अधिकारी ने पुष्टि की है कि 'अनअकैडमी' ने बोली लगाने के लिए फार्म लिया है, लेकिन इसके आगे कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
सीनियर अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर पीटीआई से कहा, ''मैं यह पुष्टि कर सकता हूं कि 'अनअकैडमी' ने दिलचस्पी दिखाई है और बोली लगाने के लिए पेपर लिए हैं। मैंने सुना है कि वे बोली सौंपेंगे और इस बारे में गंभीर हैं। इसलिए पंतजलि अगर बोली लगाता है तो उसे प्रतिस्पर्धा मिलेगी।'' भारत और चीन की सीमा पर सैनिकों के बीच हुई भिंड़त के कारण इस साल वीवो ने टाइटल प्रायोजन अधिकार से हटने का फैसला किया, जो सालाना 440 करोड़ रुपये देता था। बीसीसीआई अब चार महीने 13 दिन के लिए इससे कम कीमत (300 से 350 करोड़ के बीच) के करार के लिए कंपनी ढूंढ रहा है। अधिकारी ने कहा कि 'अनअकैडमी' आईपीएल के केंद्रीय प्रायोजन पूल का हिस्सा है जिसमें अन्य कंपनी जैसे ड्रीम11 और पेटीएम शामिल हैं। बीसीसीआई अधिकारी ने कहा, ''हां, 'अनअकैडमी' 2020 से 2023 तक आईपीएल के केंद्रीय प्रायोजन पूल में शामिल है।''
यह पूछने पर कि केंद्रीय प्रायोजन और टाइटल प्रायोजन में क्या अंतर है तो अधिकारी ने कहा, ''केंद्रीय प्रायोजन में जर्सी अधिकार शामिल नहीं होते।'' उन्होंने कहा, ''आईपीएल में, जर्सी 'लोगो सिर्फ टाइटल प्रायोजक का ही हो सकता है, भले ही टीम के विभिन्न प्रायोजक हों। अगर वे टाइटल प्रायोजक बन गए तो इससे उन्हें विभिन्न ब्रांडिंग चीजों पर अधिकार मिल जाएंगे।''