PM मोदी ने केन बेतवा लिंक परियोजना का MOA किया साइन

भोपाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हुई बातचीत के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के द्वारा पंद्रह साल से पेंडिंग केन बेतवा लिंक परियोजना के एमओए पर आज साइन कर दिए गए।
45 हजार करोड़ रुपए की इस परियोजना से एमपी और यूपी को सीधा लाभ मिलेगा। दोनों ही राज्यों के बीच एमओए साइन कराने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के कैच द रेन अभियान को लेकर भी चर्चा की। इस परियोजना के अंतर्गत मध्यप्रदेश के दौधन बांध पर 6590 एमसीएम जल उपलब्धता के आधार पर बांध से उत्तरप्रदेश के लिए 700 एमसीएम जल हर तरह के उपयोग के लिए लिंक केनाल सहित नॉन मानसून के दौरान आवंटित करने पर सहमति है।
राज्य सरकार चाहती थी कि लिंक केनाल द्वारा उत्तरप्रदेश को दिए जाने वाले पानी को शामिल करते हुए उत्तरप्रदेश को आवंटित 1700 एमसीएम जल की एकाउंटिंग बरियारपुर पिकअप वीयर पर की जाए। शेष संपूर्ण जल 2733 एमसीएम के उपयोग के लिए मध्यप्रदेश स्वतंत्र रहे। उधर परियोजना अंतर्गत उत्तरप्रदेश गैर मानसून अवधि में दौधन बांध से नवम्बर से मई माह तक 935 एमसीएम पानी चाहता है। इसी कारण विवाद था। इसके बाद राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण ने सुझाव दिया है कि परियोजना से नॉन मानसून मौसम में दौधन बांध पर उत्तरप्रदेश को 750 एमसीएम तथा मध्यप्रदेश को 1834 एमसीएम जल दें। अभिकरण द्वारा दौधन बांध पर जल उपलब्धता 6188 एमसीएम मानी गई है।
यह परियोजना वर्ष 2005 से शुरू हुई। वर्ष 2009 में भारत सरकार द्वारा केन-बेतवा लिंक बहुउद्देशीय परियोजना को राष्ष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया एवं इसके वित्त पोषण हेतु 90:10 अनुपात में केन्द्र एवं संबंधित राज्यों के मध्य आधार सुनिश्चित किया गया। परियोजना एमपी के छतरपुर व पन्ना जिले में स्थित है। परियोजना के क्रियान्वयन से होने वाली संपूर्ण क्षति जैसे- भूमि अधिग्रहण, जंगल क्षति, राजस्व भूमि की क्षति, प्रतिपूरक वनीकरण हेतु गैर वनभूमि की व्यवस्था, जनजातीय परिवारों का विस्थापन एवं पुनर्वास इत्यादि मध्यप्रदेश द्वारा वहन की जा रही है।
केन-बेतवा लिंक परियोजना मध्यप्रदेश की सर्वप्रथम परियोजना है जिसका 2005 में शुभारम्भ हुआ जिसे 231.45 किमी लम्बी नहर से जोड़ा जा रहा है। इस परियोजना से लभान्वित जिले टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना और झांसी हैं। इसी परियोजना पर पन्ना राष्टीय उद्यान प्रभावित हो रहा है। अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में जब देश की 37 नदियों को आपस में जोड़ने का फैसला लिया गया, उनमे से एक यह भी थी। तब इन पर 5 लाख 60 हजार करोड़ रुपए व्यय होने का अनुमान लगाया गया था। परियोजना के सर्वेक्षण कार्य पर 30 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं।