-मुख्यमंत्री के घर हुई बैठक, बिल को शीत सत्र में पेश किया जाएगा
- बगैर सूचना के विवाह को शून्य माना जाएगा, दो महीने पहले सूचना देना होगी
-गैर जमानती धाराओं में दर्ज होगा केस, 10 साल की जेल का प्रावधान
- अधिकतम 10 वर्ष का कारावास, एक लाख का अर्थ दंड
- धर्म परिवर्तन पर संबंधित संस्थान भी बराबर का जिम्मेदार माना जाएगा
भोपाल। लव जिहाद के खिलाफ प्रस्तावित धर्म स्वातंत्र्य विधेयक पर शनिवार को कैबिनेट हरी झंड़ी दे दी है। इसको लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक बुलाई गई। इसमें प्रस्तावित कानून के प्रवधानों को अंतिम रूप दिया गया।
विधानसभा में होगा पेश
विधेयक 28 दिसंबर से प्रस्तावित विधानसभा के शीतकालीन सत्र में प्रस्तुत होगा। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में भी धर्म स्वातंत्र्य विधेयक प्रस्तुत किया गया था लेकिन कोई निर्णय नहीं हो पाया था। मुख्यमंत्री ने यह कहते हुए प्रस्ताव पर शनिवार को विचार करने के लिए कहा था कि कुछ महत्वपूर्ण सुझाव आए हैं। शनिवार को संशोधित विधेयक को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी।
उल्लंघन पर दस साल की सजा
इन पर विचार करके मसौदे को अंतिम रूप दिया जाएगा। प्रस्तावित विधेयक में अधिनियम का उल्लंघन करने पर अधिकतम दस साल सजा और पचास हजार अर्थदंड का प्रविधान किया गया है। इसके साथ ही अपराध गैर जमानती होगी। माता-पिता, भाई-बहन की शिकायत के अलावा न्यायालय की अनुमति से मत परिवर्तित व्यक्ति से संबंधित व्यक्ति की शिकायत पर जांच होगी।
कलेक्टर को एक माह पहले देना होगा आवेदन
स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन के लिए एक महीने पहले आवेदन देना होगा। कई मामलों में देखा गया है कि युवतियां स्वेच्छा से धर्मांतरण कर शादी करना चाहती है। ऐसे मामलों को देखते हुए कानून में यह भी प्रावधान होगा कि अगर कोई स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन शादी के लिए करना चाहता है, तो उसे एक महीने पहले कलेक्टर के यहां आवेदन देना होगा। धर्मांतरण कर शादी करने के लिए कलेक्टर के यहां यह आवेदन देना अनिवार्य होगा और बिना आवेदन के अगर धर्मांतरण किया गया तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
अहम प्रावधान
-बहला-फुसलाकर, धमकी देकर जबरदस्ती धर्मांतरण और विवाह पर 10 साल की सजा का प्रावधान होगा।
-धर्मांतरण और धर्मांतरण के पश्चात होने वाले विवाह के 1 माह पूर्व डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को धर्मांतरण और विवाह करने और करवाने वाले दोनों पक्षों को लिखित में आवेदन प्रस्तुत करना होगा।
-बगैर आवेदन प्रस्तुत किए धर्मांतरण कराने वाले धर्मगुरु, काजी, मौलवी या पादरी को 5 साल तक की सजा का प्रावधान होगा।
-धर्मांतरण और जबरन विवाह की शिकायत स्वयं पीड़ित, माता- पिता, परिजन या गार्जियन द्वारा की जा सकती है।
-यह अपराध संज्ञेय और गैर जमानती होगा।
-जबरन धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं का पंजीयन निरस्त किया जाएगा।
-धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं को डोनेशन देने वाली संस्थाएं या लेने वाली संस्थाओं का पंजीयन भी निरस्त होगा।
-धर्मांतरण या विवाह में सहयोग करने वाले सभी आरोपियों के विरुद्ध मुख्य आरोपी की तरह ही न्यायिक कार्रवाई की जाएगी।