शावकों की जन्मदर से वन विभाग ने किया दावा, मप्र रहेगा नंबर वन
भोपाल। प्रदेश में पहली बार बाघों की मौत की जानकारी के बीच जंगलों से प्रदेशवासियों के लिए एक अच्छी खबर आ रही है। बाघों का कुनबा यहां लगातार तेजी से बढ़ रहा है और ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाली गणना में प्रदेश में बाघों की सं या 600 के पार होगी। इसके साथ ही ये उ मीद जताई जा रही है कि प्रदेश को मिला टाइगर स्टेट का दर्जा बरकार रहेगा। दरअसल, पिछले छह सालों में राज्य में बाघों की औसत मृत्यु दर उनकी जन्म दर और सरवाइवल दर की तुलना में कम है। साथ ही यहां के जंगलों की बनवाट भी बाघों के लिए एक दम उपयुक्त है इसके चलते भले ही प्रदेश ने बीते कुछ समय में कई बाघ खो दिए हों, लेकिन नये बाघ भी उतनी ही तेजी से प्रदेश में बढ़ गए हैं। वहीं प्रदेश के वन मंत्री विजय शाह का दावा है कि मध्यप्रदेश में वर्तमान में 124 बाघ शावक हैं। राष्ट्रीय बाघ आंकलन रिपोर्ट 2018 के दौरान बाघ शावकों की गणना नहीं की गई थी। बाघों की अगली गणना में हमारे पास 600 से अधिक बाघ होंगे।
बाघ ज्यादा, जगह कम
विशेषज्ञों के अनुसार मध्यप्रदेश के पास बाघ ज्यादा हैं और उनके लिए जितनी जगह होनी चाहिए, उसके हिसाब से इलाका कम है। बांधवगढ़ बाघ अभयारण्य का उदाहरण ही लें तो इसमें 125 बाघ हैं, जबकि इसमें केवल 90 बाघों को ही रखा जा सकता है।
124 नए शावकों से उ मीद
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के अनुसार 'टाइगर स्टेटÓ का दर्जा प्राप्त मध्यप्रदेश में वर्ष 2020 में अब तक 26 बाघों की मौत हो चुकी है। ऐसे में विभाग को ये डर सताने लगा था कि कहीं ये तमगा हमारे हाथ से निकल न जाए, लेकिन राहत की बात ये है कि दूसरी प्रदेश में 124 शावक हैं। इसके बाद ये अनुमान लगाया जा रहा है कि अगली गणना में बाघों की सं या 600 के पार हो जाएगी।