दो घंटे तक ‘महाराजा ’और पूर्व मंत्री में चली गुफ्तगूं

दो घंटे तक ‘महाराजा ’और पूर्व मंत्री में चली गुफ्तगूं
rajesh dwivedi सतना। लोकसभा चुनाव की तपिश के बीच रीवा महाराजा व पूर्व मंत्री के बीच हुई मुलाकात ने विंध्य की राजनीति में गरमाहट घोल दी है। दो अलग-अलग दलों में राजनीति करने वाले विंध्य के इन दिग्गजों के बीच तकरीबन दो घंटे तक वार्ता चली , लेकिन सूत्र बताते हैं कि चर्चा बेनतीजा साबित हुई है। दोनों ने आपस में क्या चर्चाएं की और किन मुद्दों को लेकर बातचीत का नतीजा नहीं निकला, इसका सही सही पूरा ब्यौरा तो नहीं हासिल हो सका है , लेकिन छन-छनकर बाहर निकली बात से स्पष्ट हुआ है कि महाराजा की घर वापिसी की कवायदें की जा रही हैं।   बैठक तकरीबन 2 घंटे चली जिसमें विभिन्न मुूद्दों पर चर्चा होने की खबर है। बताया जाता है कि लोकसभा टिकट न मिलने के मामले को मंत्रीजी ने कुरेदा तो पुष्पराज सिंह आहत नजर आए , जिस पर मंत्रीजी ने चोट करते हुए कहा कि कांग्रेस में जाने के बाद भी संगठन ने आपको टिकट नहीं दिया, यदि असहज महसूस कर रहे हों तो भाजपा में आ जाइए । सूत्रों के अनुसार मंत्रीजी की बात सुनकर महाराजा अपने चिर-परिचित अंदाज में मुस्कराए और सवाल दाग दिया कि यदि वापस आते हैं तो हमें क्या मिलेगा? इस पर मंत्रीजी का जवाब था कि यह तो ऊपर बात करने के बाद ही बता पाएंगे। बहरहाल इस मसले को लेकर काफी देर तक दोनों के बीच मंत्रणा चलती रही लेकिन यह मंत्रणा किसी नतीजे तक नहीं पहुंच सकी। तो क्या भाजपा कर रही कमजोरी का अहसास हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में जिले की आठों विधानसभा में कब्जा जमाने वाली भाजपा क्या रीवा में लोकसभा चुनाव के दौरान कमजोर होने का अहसास कर रही है। यदि नहीं तो फिर लोकसभा चुनाव के लिए जीत की रणनीति तय करने के बजाय विरोधी दल के नेताओं में सेंधलगाने की कवायद क्यों की जा रही है? यदि विंधानसभा चुनाव परिणामों के दृष्टिकोण से देखें तो यहां भाजपा अंगद के पांव की तरह जमी नजर आती है।कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में आठों सीट से कुल 320634 मत जबकि भाजपा को कुल 411172 मत हासिल हुए थे। रीवा जिले की आठों विधानसभा क्षेत्र के मतों का अांकलन किया जाय तो भाजपा को कांग्रेस की तुलना में 90538 मत अधिक मिले थे। विस चुनाव के पहले थामा था कांग्रेस का हाथ ,अब बसपा में तलाश रहे ठौर गौरतलब है कि पुष्पराज सिंह ने विधानसभा चुनावों के पूर्व भाजपा को झटका देते हुए कांग्रेस का हाथ थाम लिया था। कांग्रेस में आने के बाद विधानसभा चुनावों के दौरान उन्होने कांग्रेस के लिए स्थानीय स्टार प्रचारक की भूमिका निभाई थी । उन्हें उम्मीद थी कि विधानसभा चुनाव में की गई मेहनत का परिणाम लोकसभा चुनाव में मिलेगा और टिकट उन्ही को मिलेगी लेकिन दो ऐसे वाकये हुए जिसने उन्हें टिकट से दूर कर दिया। पहला तो विधानसभा चुनाव के सामने आए परिणाम, जिसमें कांग्रेस का जिले में सूपड़ा साफ हो गया और कांग्रेस 8 में से आठों सीट हार गई । यह एक बड़ा झटका था। दूसरी घटनाथी विधानसभा चुनाव के बाद रीवा जिले के सबसे प्रतिष्ठित राजनैतिक घराने के चिराग का बुझ जाना। पूर्व सांसद व वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुंदरलाल तिवारी का निधन । उनके निधन के बाद कांग्रेस ने उनके पुत्र शिद्धार्थ राज तिवारी को टिकट देकर विंध्य की राजनीति के एम मजबूत स्तंभ रहे श्रीनिवास तिवारी के राजनैतिक घराने को प्रतिनिधित्व दे दिया। माना जा रहा है कि पुष्पराज सिंह इस टिकट वितरण से विचलित नजर आ रहे हैं और एक बार पुन: राजनैतिक ठौर तलाश रहे हैं। यदि महाराजा पुष्पराज सिंह से जुड़े विश्वस्त करीबियों की माने तो इस मर्तबा वे हर हाल में चुनाव लड़ना चाहते हैं। कांग्रेस से टिकट न मिलने के बाद भले ही वे भाजपा नेताओं के साथ गुफ्तगूं कर रहे हों लेकिन उनके निशाने पर बसपा की टिकट भी है। हालाकि बसपा ने अपने प्रत्याशी के तौर पर विकास सिंह पटेल को मैदान में उतार दिया है लेकिन सूत्र बताते हैं कि महाराजा अभी भी बसपा की टिकट बदलवाकर चुनावी रण में कूदने की फिराक में हैं।