जिला पंचायत को सौंपी थी रेत खदानों की जिम्मेदारी, नई नीति में भी भाव नहीं हुए कम

इंदौर, जिला पंचायत को रेत खदानों की जिम्मेदारी सौंपने के चार माह बाद भी अब तक नई नीति पर कोई काम नहीं हो पाया है। इस कारण अब भी होशंगाबाद व अन्य स्थानों से रेत मंगाई जा रही है। इसके चलते लोगों को रेत के अधिक दाम चुकाना पड़ रहे हैं। वहीं ग्राम पंचायतों में हो रहे अवैध खनन व परिवहन पर भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। सरकार की मंशा थी कि नई रेत खनन नीति लागू करने के बाद रेत के दामों में गिरावट होगी। नई नीति इस साल के शुरुआत में लागू भी कर दी गई। साथ ही खनिज विभाग के पास से खदानों की जिम्मेदारी जिला पंचायत को सौंप दी। लेकिन जिला पंचायत द्वारा नई नीति पर ध्यान नहीं देने से अब तक रेत के दाम कम नहीं हुए हैं। शहर सहित ग्रामवासियों को भी फिलहाल रेत 65 रुपए प्रति घनफीट के आसपास मिल रही है। नई नीति लागू होने के बाद दाम 45 रुपए प्रति घनफीट तक आ जाना थे। सरकार ने नई नीति में रेत के खनन, परिवहन और वितरण में होने वाले खर्च की दरें तय कर दी हैं। जिस पर जिला पंचायत अब तक अमल नहीं कर पाया है। यह थी नीति
  • नई नीति में रेत का खनन और परिवहन अलग-अलग एजेंसियों के हाथ में जाना है।
  • खदान ठेकेदार पहले से निर्धारित डिपो पर रेत लाकर देगा।
  • उसे बेचने का काम सरकारी एजेंसी या पंचायत जैसे स्थानीय निकाय करेंगे।