अविश्वास प्रस्ताव पर बंटा विपक्ष, डीएमके साथ, एआईएडीएमके ने किया विरोध, शिवसेना पर भी संशय

नई दिल्ली 
लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से एक दिन पहले ही सियासी खेमेबंदी शुरू हो गई है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलनीसामी ने कहा है कि एआईएडीएमके अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन नहीं करेगी। पार्टी का कहना है कि कावेरी मुद्दे पर किसी ने साथ नहीं दिया इसलिए यह फैसला लिया गया है। उधर, डीएमके और ओडिशा में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजेडी) ने अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन किया। रिपोर्ट्स के मुताबिक बीजेडी ने अपने सांसदों को विप जारी कर सदन में मौजूद रहने को कहा है। वहीं एनडीए की बड़ी सहयोगी शिवसेना ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। ऐसा माना जा रहा है कि वह अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से अनुपस्थित रह सकती है। 

आपको बता दें कि लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने बुधवार को टीडीपी का अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार कर लिया था। इसपर शुक्रवार को वोटिंग होनी है। मोदी सरकार संख्याबल के लिहाज से काफी मजबूत नजर आ रही है, लेकिन सोनिया गांधी ने यह कहकर दबाव बढ़ा दिया है कि कौन कहता है कि हमारे पास नंबर्स नहीं हैं। इन सबके बावजूद सर्वाधिक संभावना यही है कि अविश्वास प्रस्ताव गिर जाएगा। इसके बावजूद केंद्र सरकार और विपक्ष, दोनों ही इसे लेकर कोई मौका गंवाना नहीं चाह रहे हैं। अविश्वास प्रस्ताव पर रणनीति तैयार करने के लिए गुरुवार को जहां पीएम मोदी अपने मंत्रियों से मिले, वहीं सोनिया गांधी ने कांग्रेस की संसदीय दल (CPP) की बैठक बुलाई। मोदी सरकार जहां अविश्वास प्रस्ताव को गिरा विधानसभा चुनावों से पहले नैतिक जीत दिखाना चाहती है, वहीं विपक्ष इसी बहाने सरकार को मुद्दों पर घेरना चाहता है। 

उधर, टीडीपी ने सभी सांसदों को खत लिखकर अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन की मांग की है। एएनआई के मुताबिक अपनी पार्टी बीजेपी से नाराज चल रहे सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने अविश्वास प्रस्ताव पर मोदी सरकार का साथ देने का फैसला किया है। वह इसके खिलाफ वोट करेंगे। हालांकि एनडीए की एक प्रमुख सहयोगी शिवसेना ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा है कि लोकतंत्र में विपक्ष की आवाज सबसे पहली सुनी जानी चाहिए। अविश्वास प्रस्ताव पर संजय राउत ने कहा, 'वोटिंग के दौरान हम वही करेंगे जो उद्धव ठाकरे हमें करने को कहेंगे।' बीजेपी के मैनेजरों का कहना है कि मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव बड़ी आसानी से गिर जाएगा क्योंकि सदन में NDA के पास 315 सांसद (स्पीकर समेत) हैं। आपको बता दें कि 535 सदस्यों में से बहुमत का आंकड़ा 268 है। बीजेपी के पास दो नामित सदस्यों को शामिल करते हुए सदन में 273 सदस्य हैं।