असम में एनआरसी ने लाखों लोगों को अपने देश में विदेशी बना दिया: प्रशांत किशोर
पटना
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल जेडीयू के उपाध्यक्ष और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने असम में एनआरसी की अंतिम लिस्ट में 19 लाख लोगों के बाहर किए जाने पर बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि विसंगतियों से भरी एनआरसी की फाइनल लिस्ट ने लाखों लोगों को उनके अपने ही देश में विदेशी बना दिया। बीजेपी जहां और ज्यादा लोगों को एनआरसी से बाहर किए जाने की मांग कर रही है, वहीं इस मुद्दे पर उसको सहयोगी दल जेडीयू से सहयोग नहीं मिलता दिख रहा है।
प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर कहा, 'विसंगतियों से भरी एनआरसी की फाइनल लिस्ट ने लाखों लोगों को उनके अपने ही देश में विदेशी बना दिया। इस तरह की कीमत इंसान को तब चुकानी पड़ती है, जब राजनीतिक दिखावे और नारों को गलती से बिना रणनीतिक और व्यवस्थागत चुनौतियों पर ध्यान दिए राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे जटिल मुद्दों का समाधान समझ लिया जाता है।'
इससे पहले एनआरसी बिल का जेडीयू ने विरोध किया था। जेडीयू नेता केसी त्यागी के नेतृत्व एक दल भी असम गया था और अपनी रिपोर्ट में एनआरसी का विरोध किया था। प्रशांत किशोर का ट्वीट भी इसी कड़ी का हिस्सा माना जा रहा है। बता दें कि असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) की अंतिम सूची प्रकाशित होने के बाद सियासी घमासान भी शुरू हो गया है।
राष्ट्रीय स्तर पर तैयार हो NRC: बीजेपी
असम बीजेपी ने फाइनल एनआरसी लिस्ट पर नाखुशी जाहिर करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर नागरिक रजिस्टर की मांग की है। बीजेपी के साथ-साथ उसकी सहयोगी असम गण परिषद ने भी एनआरसी लिस्ट से बाहर हुए लोगों की संख्या पर सवाल उठाते हुए कहा है कि यह आंकड़ा और ज्यादा होना चाहिए था। वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दिल्ली में पूर्वोत्तर के नेताओं के साथ उच्च स्तरीय बैठक कर हालात पर चर्चा की।
कांग्रेस ने NRC लिस्ट पर चिंता जताते हुए कहा है कि मौजूदा स्थिति से राज्य का हर वर्ग नाराज है और देश के वास्तविक नागरिकों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने तो सत्ताधारी बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा है कि वह स्वतंत्र और निष्पक्ष एनआरसी सुनिश्चित करने में नाकाम रही है।
और ज्यादा लोग होने चाहिए थे बाहर: शर्मा
असम के वित्त मंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा ने एनआरसी की अंतिम सूची में जगह न बना पाने वाले लोगों की संख्या पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि फाइनल लिस्ट से बाहर किए गए लोगों के नंबर कुछ ज्यादा होने चाहिए थे, हमारे पास सबूत है कि डेटा से छेड़छाड़ की गई है। हमें लगा की फिर से वेरिफिकेशन किया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मुझे लगता है कि आंकड़े कम हैं, ये और ज्यादा होने चाहिए थे। शर्मा ने कहा, 'केंद्र एवं राज्य सरकारों के अनुरोध पर शीर्ष अदालत को सटीक एवं निष्पक्ष एनआरसी के लिए (सीमावर्ती जिलों में) कम से कम 20 प्रतिशत और (शेष जिलों में) 10 प्रतिशत पुन: सत्यापन की अनुमति देनी चाहिए।'