आपके घर में भी हो गैस गीजर तो हो जाएं सतर्क

गुड़गांव
अगर आपने बाथरूम में गैस गीजर लगा रखा है तो इसके इस्तेमाल से पहले सावधानी बरतने की जरूरत है। जरा सी लापरवाही हादसे का कारण बन सकती है। गुरुवार को गाजियाबाद के खोड़ा में गैस गीजर के साथ लगे सिलिंडर के फटने से बड़ा हादसा हो गया। इस हादसे में 4 लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गए। जांच में पता चला कि परिवार ने बाथरूम में खिड़कीनुमा स्थान बनाकर उस पर सिलिंडर को लिटाकर रखा था। एक्सपर्ट का कहना है कि गैस से भरे सिलिंडर को लिटाकर रखने से उसमें गैस का दबाव बढ़ जाता है, जिससे उसके फटने की संभावना पैदा हो जाती है।
एक्सपर्ट बताते हैं कि गैस गीजर से हर साल कोई न कोई हादसा जरूर होता है, बावजूद इसके लोग सबक नहीं लेते हैं। गैस गीजर यदि बाथरूम के अंदर लगा है, तो वहां वेंटिलेशन की प्रॉपर व्यवस्था होनी चाहिए। सिलिंडर को बाथरूम के अंदर रखने की बजाय उसे बाहर बालकनी या अन्य खुले स्थान पर रखना सुरक्षित रहता है।
ब्रांडेड कंपनी के आईएसआई मार्का छोटे और बड़े गीजर का ही इस्तेमाल करना चाहिए। नेहरू नगर स्थित मनसा मार्केटिंग कंपनी के संचालक विजय जैन बताते हैं कि जिस कंपनी का गैस गीजर लें, फिटिंग भी उसी कंपनी के इंजिनियर से ही करानी चाहिए। कई बार लोग प्लंबर या लोकल मिस्त्री से फिटिंग करा लेते हैं, जो थोड़े से फायदे के लिए बढ़ा खतरा बन सकता है।
ऐसे जानलेवा होता है गीजर
एक्सपर्ट भीम सिंह का कहना है कि गैस गीजर को बाथरूम से बाहर ही लगवाएं। यदि बाथरूम में लगा है तो एग्जॉस्ट फैन जरूर लगवाना चाहिए, जिससे अंदर की गैस और भाप बाहर निकलती रहे। गैस की बदबू आने पर तुरंत सिलिंडर से गैस को बंद कर खिड़की दरवाजें खोल दें। नहाने से पहले गीजर से पानी निकालकर बाल्टी में भर लें। मल्टीब्रैंड गैस गीजर सर्विस सेंटर में कार्यरत एक्सपर्ट भारत ने कहा कि गैस गीजर बिजली से चलने वाली गीजर की अपेक्षा बेहद सस्ता है, लेकिन समय पर सर्विस नहीं कराने पर जानलेवा हो सकता है। समय पर गैस पाइप चेक करते रहना चाहिए। पाइप और सिलिंडर में कनेक्ट होने वाला वासर लीक हो जाता है, जिस कारण गैस रिसाव होता है।
सोलर गीजर अच्छा विकल्प
पानी गर्म करने के कई तरीके हैं। गैस चूल्हा, इलेक्ट्रिक गीजर, हीटर, इमर्सन रॉड और अंगीठी आदि से पानी गर्म किया जा सकता है। हालांकि सोलर गीजर सबसे अच्छा विकल्प है। इसके इस्तेमाल से बिना गैस और बिजली खर्च किए पानी गर्म किया जा सकता है। चूंकि शहरों में फ्लैट सिस्टम होता है और जगह कम होती है, इसके कारण सोलर पैनल लगाने का स्थान नहीं मिल पाता है। ऐसे में लोग सोलर गीजर का इस्तेमाल कम कर पाते हैं।
यह कहते हैं डॉक्टर
फिजिशियन डॉ. आरपी सिंह बताते हैं कि कार्बन मोनो ऑक्साइड शरीर में जाने से व्यक्ति पहले बेहोश होता है। इसके बाद दिमाग कोमा जैसी स्थिति में चला जाता है। कार्बन मोनो ऑक्साइड शरीर को ऑक्सीजन पहुंचाने वाले रेड ब्लड सेल्स पर हमला करती है। आमतौर पर जब कोई सांस लेता है, तो हवा में मौजूद ऑक्सीजन हीमोग्लोबिन के साथ मिल जाती है। हीमोग्लोबिन की मदद से ही ऑक्सीजन फेफड़ों से होकर शरीर के अन्य हिस्सों तक जाती है।
कार्बन मोनो ऑक्साइड सूंघने से हीमोग्लोबिन मॉलिक्यूल ब्लॉक हो जाते हैं और शरीर का ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट सिस्टम प्रभावित हो जाता है। ऐसा होने से सिरदर्द, सांस लेने में दिक्कत, घबराहट, मितली आना, सोचने की क्षमता पर असर पड़ना, हाथों और आंखों का को-ऑर्डिनेशन गड़बड़ होना, पेट में तकलीफ व उलटी, हार्ट रेट बढ़ना, शरीर का तापमान कम होना, लो ब्लड प्रेशर, कार्डियक एवं रेस्पिरेटरी फेलियर जैसी प्रॉब्लम हो सकती है।