इंजीनियरिंग छात्र ने बनाया अनोखा चश्मा जो नेत्रहीनों को राह दिखाने में करेगा मदद

बिलासपुर
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में अरुणाचल प्रदेश के एक छोटे से गांव के रहने वाले अनंग तादर ने दृष्टिबाधितों के लिए एक ऐसा गॉगल (चश्मा) का ईजात किया है, जिससे उन्हें कभी किसी सहारे की जरूरत नही पड़ेगी. दरअसल, इस गॉगल की खासियत यह है कि दृष्टिबाधित इसे पहनकर कहीं भी आ जा सकते हैं. अगर उनके सामने कोई खंबा आ या कोई गाड़ी आ जाए, तो ये गॉगल उसे सेंसर और वाइब्रेशन के जरिए सतर्क कर देगा. साथ ही उसे राइट या लेफ्ट जाने के लिए संकेत भी देगा.
आपको बता दें कि देश का उभारता वैज्ञानिक अनंग तादर अपने आविष्कारों पर देश के दो अलग-अलग राष्ट्रपति से सम्मान प्राप्त हो चुका है. पहला पुरस्कार साल 2019 में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिला था, वहीं दूसरा पुरस्कार साल 2019 वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों मिला था. अनंग छत्तीसगढ़ में बिलासपुर के सीवी रमन यूनिवर्सिटी कोटा में सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है. इस दौरान उसने दृष्टिबाधितों के लिए इस गॉगल (चश्मे) का ईजात किया है.
अनंग ने इस चश्मे के दोनों तरफ के ग्लास में दो अलग-अलग सेंसर लगाया है. इस सेंसर से हालांकि दृष्टिहीन व्यक्ति को दिखाई तो नहीं देगा, लेकिन कहीं भी आते-जाते इस सेंसर के जरिए उनको सामने से आ रहे वाहनों और खंबों का पता आसानी से लग जाएगा. इससे वे तुरंत अपने मार्ग को बदल लेंगे.
अनंग बताते हैं कि वे अरुणाचल प्रदेश के एक छोटे से गांव से यहां पढ़ने आए है. उनके गांव में महीने में 25 दिन बिजली नहीं रहती. इस बीच उन्होंने अपनी पढ़ाई की, जिसमें अनंग ने लगातार सफलता हासिल कर प्रदेश में गोल्ड मेडल दिलाया. अनंग के इसी काबलियत को देखते हुए अरुणाचल सरकार अब उसके पढ़ने का पूरा खर्च उठा रही है. यहां तक कि उसकी प्रतिभा और उभरते हुए अविष्कारक की योग्यता को देखते हुए अनंग के आविष्कार के जरूरत के हिसाब से खर्च को भी अरुणांचल शासन दे रहा है.
इधर, सीवी रमन यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर आर. पी. दुबे ने कहा कि अनंग एक ऐसा छात्र है जो सिर्फ अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में लगा हुआ है. अभी उसने एक ऐसा अनोखा चश्मा बनाया है जिसे पहनने वाले दृष्टिबाधितों को अपने जीवन यापन करने में बहुत ही आसानी होगी. इसके लिए पूरा यूनिवर्सिटी उसके साथ है और सहयोग भी कर रहा है.