छत्तीसगढ़ में फिर से शुरू होगा किन्नरों का सेक्स चेंज ऑपरेशन
रायपुर
छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग एक बार फिर से थर्ड जेंडर यानी किन्नरों का सेक्स चेंज ऑपरेशन कराने जा रहा है. तकनीकी कारणों की वजह से ये ऑपरेशन पहले बंद कर दिया गया था. लेकिन अब रायुपर सरकारी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल डीकेएस में ये ऑपरेशन फिर से शुरू किया जा रहा है. समाज की मूलधारा में जुड़ने की चाह रखने वाले किन्नरों के लिए ये एक अच्छी ख़बर है, क्योंकि जल्द ही रायपुर के अंबेडकर अस्पताल के साथ डीकेएस अस्पताल में भी किन्नरों की सेक्स रिअसाइनमेंट सर्जरी की सुविधा मिलनी शुरू हो जाएगी.
फंड की कमी के चलते बंद था ऑपरेशन
अब तक ये सुविधा केवल चेन्नई और पुडूचेरी के बाद रायपुर में ही शुरू की गयी थी. स्वास्थ्य विभाग के आयुक्त आर प्रसन्ना का कहना है कि फंड की कमी और अन्य तकनीकी कारणों के चलते ये ऑपरेशन बंद कर दिया गया था. लेकिन थर्ड जेंडर समुदाय की मांग को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने इसे एक बार फिर शुरू करने का फैसला लिया है.
सर्जरी से पहले होता है मेडिकल चेकअप
आपको बता दें कि रिअसाइनमेंट सर्जरी के तहत किन्नरों का मेडिकल चेकअप कराया जाता है. उनमें देखा जाता है कि उनके अंदर पुरूष या महिलाओं के कितने हार्मोंस मौजूद है. यदि जरूरी हार्मोंस तत्व पाए गए तो उनके अविकसित अंगों की प्लास्टिक सर्जरी की जाती है. साथ ही मनोवैज्ञानिकों द्वारा ऑपरेशन से पहले काउंसलिंग भी की जाती है कि ट्रांसजेंडर ऑपरेशन के लिए पूरी तरह तैयार है या नहीं.
किन्नरों के मानवाधिकार का रखा जाता है ध्यान
पिछले दिनों परिवार और समाज कल्याण विभाग के सर्वे में प्रदेशभर में करीब 2 हजार 7सौ98 किन्नरों की पहचान हुई थी. लेकिन अपनी पहचान गुप्त रखने वालों को मिलकर देखे तो प्रदेशभर में ये संख्या दस हजार का भी आंकड़ा पार कर सकती है. हांलाकि इस सर्जरी के लिए कई प्रोसेस से गुजरना होता है जिसमें किन्नरों के मानवाधिकार का भी ध्यान अस्पताल प्रबंधन को रखना होगा. छत्तीसगढ़ में थर्ड जेंडर वेलफेयर के लिए काम कर रही विद्या राजपूत बताती हैं कि साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को थर्ड जेंडर्स के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए काम करने के निर्देश दिये थे. इसके बाद छत्तीसगढ़ में भी किन्नरों के लिए सर्जरी की पॉलिसी तैयार की गयी थी. लेकिन कुछ ऑपरेशन होने के बाद इस सर्जरी को बंद कर दिया गया था. लेकिन फिर से ये ऑपरेशन शुरू होने से थर्ड जेंडर समुदाय में हर्ष का माहौल है.