ऐसे बनाएं अपने सपनों का आशियाना फिर कभी नहीं पड़ेगा आपको पछताना

ऐसे बनाएं अपने सपनों का आशियाना फिर कभी नहीं पड़ेगा आपको पछताना

आज के समय में हर कोई चाहता है कि उसके पास बहुत सारा पैसा हो और वह अपने व अपने परिवार का हर सपना पूरा कर सके। हर इंसान का एक ख्वाब होता है कि उसका घर भी एक बड़े से आशियाने जैसा हो। ऐसे में हर व्यक्ति चाहता है कि उसका घर बहुत ही सुदंर हो, जैसा कि वह अपने सपनों में देखता है। हर कोई चाहता है कि वह अपने घर में धन-धान्य से पूर्ण और सुख-शांति के साथ रहे। ऐसे में अगर आप घर बना रहे हो या घर बनाने के बारे में सोच रहे हों तो कोशिश करनी चाहिए कि वह वास्तु के हिसाब से ही बना हो, तभी वहां पूर्णता सुख-शांति रहती है। तो चलिए आज हम आपको बताएंगे वास्तु में मौजूद कुछ नियमों जिसके आधार पर आप अपना घर बना सकते हैं और इन नियमों को अपनाकर आपके घर में धन-धान्य बना रहेगा। 

कोई भी जमीन कहीं भी हो तो चौकोर हो या आयताकार हो, गोल, तिकोनी, तिरछी, पूर्व से कटी, नैऋत्य में बड़ी या वायव्य में बड़ी हो तो अग्निकोण बड़ा हो, अगर ऐसी जमीन मुफ्त में भी मिले तो बेकार है। ऐसी जमीन को कभी न खरीदें। वरना आपको बाद में पछताना पड़ सकता है। 

अगर ईशान यानि पूर्व-उत्तर दिशा वाला भाग बड़ा हो तो चलेगा और इसके साथ ही जमीन की ढलान पूर्व-उत्तर में होनी शुभ होती है। दक्षिण-पश्चिम में ढलान नहीं होना चाहिए। इस तरफ ढलान होने से घर का वास्तु बिगड़ सकता है। 

घर के मेन गेट को ईशान कोण में नहीं बनवाना चाहिए।

बच्चों का स्टडी रूम उत्तर-पूर्व में हो व पूर्व या उत्तर की तरफ मुंह करके बैठना और पढ़ना शुभ रहेगा।

आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने के लिए उत्तर दिशा में तिजोरी होनी चाहिए और इसी दिशा में पीने का पानी रखना चाहिए।  

उत्तर-पूर्व में बगीचा शुभ रहेगा, वहीं दक्षिण-पश्चिम में शुभता खत्म हो जाती है। 

ईशान कोण में बना शौचालय बरबादी का कारण बनता है, स्नानघर हो तो चल जाएगा। लेकिन शौचालय वहां नहीं होना चाहिए।

किसी भी हालात में सीढ़ियों के नीचे मंदिर नहीं होना चाहिए। अक्सर जगह के उपयोग व कमी को देखते हुए बहुत से लोग मंदिर वहीं बना लेते हैं, लेकिन ये सही नहीं होता है। इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए।