कहीं चचा-भतीजा ठोक रहे हैं ताल, तो कहीं बाप-बेटा आमने-सामने
रीवा
रीवा ज़िले में इस बार दिलचस्प मुकाबला होने जा रहा है. यहां चचा-भतीजे में टिकट के लिए होड़ मची है तो कहीं बाप-बेटा ही आमने-सामने ताल ठोकने के लिए तैयार हैं.
रीवा सहित विंध्य की राजनीति में अपना खासा दखल रखने वाले मध्यप्रदेश के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्व.श्रीनिवास तिवारी के घर में ही चुनावी घमासान मचा हुआ है. गुढ़ से उनके बेटे सुंदरलाल तिवारी फिलहाल कांग्रेस से विधायक और इस बार फिर टिकट के दावेदार हैं. उनका टिकट लगभग तय भी है. उन्हीं के भतीजे विवेक तिवारी भी मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं. वो खुद को श्रीनिवास तिवारी का असली राजनैतिक उत्तराधिकारी मानते हैं. वो स्व तिवारी की परपंरागत सीट सिरमौर से ताल ठोके बैठे हैं.
रीवा सीट से बीजेपी विधायक और मंत्री राजेंद्र शुक्ला इस बार भी प्रबल दावेदार हैं. उन्हें अपने घर से ही चुनौती मिल रही है. राजेंद्र शुक्ला के बड़े भाई ताल ठोक रहे हैं. कांग्रेस से टिकट के दावेदार थे. टिकट नहीं मिला तो मऊगंज से निर्दलीय चुनाव आतुर बैठे हैं
रीवा राजघराना भी परिवारवाद से बच नहीं पाया है. राजघराने में पिता पुष्पराज सिंह कांग्रेसी और बेटा दिव्यराज भाजपा विधायक है. ऐसे मे दोनों ही पार्टी के लिये यह तय कर पाना है की कैसे और कहां इनका उपयोग करें. राजघराने में पिता महाराजा पुष्पराज सिंह कांग्रेसी हैं और उनके बेटे दिव्यराज बीजेपी विधायक हैं. पिछले दिनों चर्चा थी कि महाराजा अपने बेटे को राजनीतिक विरासत सौंप कर मार्गदर्शक की भूमिका निभाएंगे. लेकिन इसी बीच वो कांग्रेस में लौट आए और उपाध्यक्ष बना दिए गए.
कांग्रेस हो या भाजपा, परिवार वाद दोनों में है. परिवारवाद ने दोनों दलों के सारे समीकरण बिगाड़ रखे हैं.