कैग की रिपोर्ट, कर्ज लेकर कर्ज चुका रही है छत्तीसगढ़ सरकार

रायपुर 
विधानसभा चुनाव से ऐन पहले आई कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (कैग) की रिपोर्ट ने सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। विपक्षियों को सरकार पर हमला करने के लिए एक और हथियार थमा दिया है। बुधवार को विधानसभा में पेश कैग की रिपोर्ट में राज्य सरकार के वित्तीय प्रबंधन में गड़बड़ी को लेकर सवाल उठाए गए हैं।

प्रधान महालेखाकार बीके मोहती ने पत्रकारवार्ता में बताया कि सरकार कुल बजट का 20 फीसद राशि खर्च ही नहीं कर पा रही। बार-बार अनुपूरक बजट पेश करना सरकार के कमजोर वित्तीय प्रबंधन का परिणाम है। कई योजनाओं में करोड़ों रुपये का इस्तेमाल नहीं कर पाने का भी खुलासा हुआ है। सरकार ने कर्ज चुकाने के लिए कर्ज लिया। पब्लिक सेक्टर की यूनिट को फंड दिया, लेकिन उनके लाभ में हिस्सेदारी नहीं ले पाई। इसका बुरा असर यह हुआ कि कर्ज पर ब्याज भी सरकार को चुकाना पड़ रहा है।

जनप्रतिनिधियों को बताए बिना अफसरों ने खर्च की धनराशि

मोहंती ने बताया कि जेंडर बजटिंग में महिलाओं के लिए 25 योजनाओं का 40 फीसद फंड सरकार खर्च नहीं कर पाई। केंद्र सरकार से सीधे कलेक्टरों और विभागों को 1112 करोड़ रुपये की राशि जारी हुई। विधायकों की जानकारी के बिना ही यह राशि खर्च कर दी गई। सरकार ने आठ पीएसयू के लिए छह हजार 778 करोड़ रुपये की लोन गारंटी दी है। सरकार को 16 रिजर्व फंड में 4141 करोड़ रुपये मिले, लेकिन इसमें से सिर्फ 1800 करोड़ रुपये का निवेश किया गया। सीएसपीडीसीएल के 1955 करोड़ ऋण की आडिट आपत्ति पर भी सरकार घिरी है। बिजली कंपनी ने कृषि जीवन ज्योति योजना के लिए लोन लिया, लेकिन इस लोन के बारे में सरकार के खाते में कोई जानकारी नहीं है।

सरकार को करोड़ों का नुकसान

मोहंती ने कहा कि सरकार ने बजट का ज्यादा इस्तेमाल रोजाना की जरूरतों पर किया है। रेवेन्यू पर 48 हजार करोड़ और कैपिटल पर नौ हजार 477 करोड़ रुपये ही खर्च किया गया। यह जीएसडीपी का सिर्फ 3.5 फीसद ही है। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि सरकार ने आपदा प्रबंधन के फंड का न तो इस्तेमाल किया, न ही उसे बैंक में जमा किया। इसके कारण सरकार को 225 करोड़ का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा।

194 अधूरे प्रोजेक्ट में अटके 5 हजार करोड़

सरकार के 194 प्रोजेक्ट अधूरे हैं, जिसमें 5 हजार 912 करोड़ की राशि फंसी हुई है। छत्तीसगढ़ में 280 एनीकट आजतक नहीं बने और जो बने भी हैं, उनसे 50 फीसद इलाकों में ग्राउंड वाटर नहीं बढ़ा। 90 फीसद एनीकट बनाने में दो से 10 साल की देरी हुई, जिनमें से कुछ टूट गए हैं। 39 एनीकट के लिए क्वालिटी सर्टिफिकेट भी नहीं लिया गया।