कोरबा : स्कूल में दिखा रहे थे विवादित संत रामपाल का वीडियो

कोरबा
बच्चों को अच्छाई का पाठ पढ़ाने और बुराई से बचने की सीख देने की बजाय स्कूल में विवादित संत का वीडियो दिखाने का एक मामला सामने आया है। इसके लिए बकायदा इस सरकारी स्कूल में वीडियो प्रोजेक्टर की व्यवस्था भी की गई थी। जब मामला तूल पकड़ने लगा और इस तरह कानून की नजर में आरोपी बन चुके बाबा का वीडियो दिखाए जाने की खबर वायरल होने के बाद आनन-फानन में हेडमास्टर ने स्कूल पहुंचकर यह सब बंद कराया।
समाज और कानून ने जिसे एक अपराधी के तौर पर जेल की हवा खाने का हकदार माना है, उसी की वीडियो दिखाकर ग्रामीणों और बच्चों को गलत सबक सिखाने का यह मामला शासकीय प्राइमरी स्कूल बरपाली का है। करतला विकासखंड अंतर्गत स्कूल में विवादित संत रामपाल का वीडियो दिखाया जा रहा था।
विवादित संत रामपाल इन दिनों हरियाणा की एक जेल में बंद है। विभिन्न आरोपों से घिरकर कानून के शिकंजे में फंस चुके संत रामपाल का वीडियो स्कूल में दिखाया जाना, आयोजकों की कार्यप्रणाली पर संदेह पैदा करता है। जब स्कूल में वीडियो दिखाने की बात बाहर आई, तो सोशल साइट्स पर आलोचना शुरू हुई। खबर वायरल होने के बाद स्कूल प्रबंधन को जानकारी हुई और वीडियो प्रोग्राम बंद कराया गया।
अनुमति नहीं, डीईओ से मिली सूचना
शिक्षा विभाग का कहना है कि हेडमास्टर या किसी अन्य ने सूचित नहीं किया था। नियमानुसार स्कूल या परिसर में इस प्रकार का कोई भी आयोजन करने उच्चाधिकारियों से अनुमति लेना या कम से कम उन्हें सूचित करना एक जरूरी प्रक्रिया है, पर ऐसा नहीं किया गया और प्रोजेक्टर लगाकर वीडियो दिखाने की व्यवस्था की गई थी।
स्कूल के हेडमास्टर लालसिंह कंवर का कहना है कि वीडियो दिखाने का यह कार्यक्रम शाम के वक्त चल रहा था। डीईओ से सूचना मिलने पर वे रात करीब आठ बजे पहुंचे, जहां स्कूल के बाहर ही वीडियो दिखाया जा रहा था। उन्होंने तत्काल उसे बंद कराया।
सुशिक्षा में शिक्षक की भूमिका अहम
यह संभव है कि सांस्कारिक शिक्षा देने के उद्देश्य से यह व्यवस्था कराई गई हो, लेकिन उससे पहले यह देखना भी उतना ही जरूरी है कि जिसके बारे में बताया जा रहा, वह स्वयं कितना सांस्कारिक है।
बताया जा रहा है कि पंचायत की ओर से स्कूल के हेडमास्टर अनुमति ली गई थी, जबकि शिक्षा विभाग या आला अधिकारियों को सूचित करना जरूरी नहीं समझा गया। बच्चों के मन-मस्तिष्क में शिक्षा के साथ विचारों व संस्कारों का समावेश करने शिक्षक की अहम भूमिका होती है, जिसमें सावधानी एक जरूरी फैक्टर है।
बरपाली के प्राइमरी स्कूल में इस तरह का वीडियो दिखाने संबंधी कोई सूचना नहीं मिली है। अगर ऐसा हुआ है तो शिक्षा विभाग से संबंधित स्कूल के हेडमास्टर ने विभागीय अनुमति भी नहीं ली थी। यह हो सकता है कि सांस्कारिक शिक्षा प्रदान करने के लिए ऐसा किया गया हो पर वह सही है या नहीं, इसका आंकलन पहले कर लेना चाहिए। - डीके कौशिक, डीईओ