क्रूड में नरमी से सरकारी ऑइल कंपनियों का मार्जिन उछला

क्रूड में नरमी से सरकारी ऑइल कंपनियों का मार्जिन उछला

मुंबई
पेट्रोल-डीजल के दाम घटने से कार और बाइक मालिकों की बचत हो रही है। हालांकि ग्लोबल क्रूड ऑयल रेट्स में गिरावट का सबसे बड़ा फायदा पेट्रोल-डीजल बेचने वाली सरकारी कंपनियों को हो रहा है। इनका मार्केटिंग मार्जिन बढ़ रहा है।  

बेचे जाने वाले फ्यूल के हर लीटर पर ग्रॉस मार्केटिंग मार्जिन 26 नवंबर को पेट्रोल के मामले में रिकॉर्ड 6.07 रुपये और डीजल के लिए 4.75 रुपये पर पहुंच गया था। इसके मुकाबले पिछले सालभर में इनका ऐवरेज क्रमश: 1.80 और 2.18 रुपये रहा है। ईटीआईजी ने यह आंकड़ा सरकार के पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल से जुटाया है। रिटेल सेलिंग प्राइस और रिफाइनरी ट्रांसफर प्राइस के अंतर में से डीलर कमीशन और टैक्स घटाने पर मिलने वाला आंकड़ा ग्रॉस मार्केटिंग मार्जिन कहा जाता है। 

एक सरकारी ऑयल रिटेलर के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि ग्लोबल लेवल पर भाव कम होने से 'नॉर्मलाइज्ड मार्केटिंग मार्जिन' की प्रैक्टिस फिर शुरू हो गई है। रिकॉर्ड मार्जिन से पता चल रहा है कि रिटेलरों को ज्यादा फायदा हुआ है। 

इंडियन क्रूड ऑयल बास्केट 4 अक्टूबर को 85.1 डॉलर प्रति बैरल के हाई पर था, जिसमें 31 प्रतिशत कमी हो चुकी है। वहीं ऐवरेज कंज्यूमर के लिए पेट्रोल का रिटेल प्राइस इसी दौरान 12.4 प्रतिशत कम हुआ है। 

मार्केटिंग मार्जिन में इस अच्छी रिकवरी का असर सरकारी ऑयल रिटेलरों के शेयर प्राइसेज में भी दिख रहा है। 4 अक्टूबर के लेवल से इनमें रिबाउंड आया है। 4 अक्टूबर को मार्केटिंग मार्जिन में एक रुपया प्रति लीटर की कमी की गई थी। 

तीनों ऑयल मार्केटिंग कंपनियों का कंबाइंड मार्केट कैपिटलाइजेशन 2.41 लाख करोड़ रुपये है, जो 4 अक्टूबर के लेवल से महज 10 प्रतिशत कम है। अपने प्रॉफिट के लिए मार्केटिंग मार्जिन पर सबसे ज्यादा निर्भर रहने वाली एचपीसीएल का शेयर कटौती से पहले के लेवल के लगभग बराबर पर ट्रेड कर रहा है। 

एनालिस्ट्स ने मार्केटिंग मार्जिन में कटौती के बाद सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के शेयरों को डाउनग्रेड कर दिया था। तब सरकार के कदम को बाजार से तय होने वाली प्राइसिंग में बेजा दखल माना गया था। सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के मार्केटिंग डिवीजन से होने वाला प्रॉफिट उनके टोटल ऑपरेटिंग प्रॉफिट का करीब 60 प्रतिशत होता है।