गर्भधारण में कम वजन वाली महिलाओं को भी होती है दिक्कत
महिलाओं के गर्भधारण को प्रभावित करने वाले कई कारणों में वजन भी एक महत्वपूर्ण कारण है। सेहत, उम्र, बॉडी मास इंडेक्स (BMI) और वजन के सही तालमेल से ही गर्भधारण सफल होता है। इंदिरा आईवीएफ हॉस्पिटल की आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. आरिफा आदिल ने कहा, ‘गर्भधारण के समय वजन का काफी महत्व होता है। वजन की बात करते ही लोगों के दिमाग में सिर्फ मोटापे का ख्याल आता है। मोटापा तो कई समस्याओं कारण है ही लेकिन यह जरूरी नहीं हैं कि सिर्फ अधिक वजन से ही गर्भधारण प्रभावित हो, बल्कि कम वजन से भी गर्भधारण में कई प्रकार की समस्याएं आ सकती हैं।’
कम वजन की वजह से प्रीटर्म बर्थ का खतरा
डॉ आदिल आगे कहती हैं, ‘कम वजन की महिलाओं में प्रीटर्म बर्थ का खतरा भी होता है। प्रीटर्म न भी हो, तो भी बच्चे का वजन सामान्य से कम होता है जिससे बच्चे को भी कई परेशानियां हो सकती है। अनीमिया या कुछ अन्य प्रकार की समस्याएं भी हो सकती हैं। इसलिए अगर महिलाएं गर्भधारण करने की इच्छुक हैं तो प्रयास करें कि वजन सामान्य रखें।’
गर्भधारण के समय उम्र के अनुसार आदर्श वजन को ऐसे निकालें...
- अगर आपकी लंबाई 155 सेमी है तो आपका वजन 55 किलो होना चाहिए।
- इस प्रकार वजन को संतुलित रखकर समस्याओं से बचा जा सकता है।
कम वजन यानी फैट का प्रतिशत कम
कम वजन का अर्थ है शरीर में फैट के प्रतिशत का कम होना। ऑव्यूलेशन और पीरियड्स के समय पर होने के लिए बॉडी फैट 22 प्रतिशत अवश्य होना चाहिए। यदि बॉडी फैट लो होने के बावजूद पीरियड्स समय पर हो रहे हों तो भी गर्भधारण नहीं होने की आशंका होती है क्योंकि ऐसी स्थिति में ऑव्यूलेशन प्रभावित होता है।
22-34 वर्ष में दें गर्भावस्था को प्राथमिकता
डॉ. आरिफा आदिल ने कुछ ध्यान रखने योग्य बातों का जिक्र करते हुए कहा कि 22 से 34 वर्ष की उम्र में गर्भावस्था को प्राथमिकता दें। इस अवधि में गर्भधारण की क्षमता बेहतर मानी जाती है। 18 से 25 वर्ष तक अपने बीएमआई को मेंटेन रखे। बीएमआई के कम या बहुत ज्यादा होने पर मां बनने में खतरा हो सकता है। नियमित व्यायाम करें और हेल्दी फूड लें। इससे गर्भधारण की संभावना बढ़ती है। वजन अधिक हो तो फैट और चीनी युक्त भोजन कम से कम करें। जितना हो सके फल, हरी पत्तेदार सब्जियां और सलाद खाएं।