गुजर गया कारवां: नहीं रहे मशहूर गीतकार गोपालदास 'नीरज'
नई दिल्ली
हिंदी के प्रख्यात कवि और गीतकार गोपाल दास नीरज का 94 साल की उम्र में गुरुवार को निधन हो गया. गोपालदास नीरज लंबे समय से बीमार चल रहे थे. मंगलवार को उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. इसके चलते उन्हें आगरा के अस्पताल में भर्ती कराया गया था. तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें दिल्ली के एम्स अस्पताल में लाया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली.
गोपालदास नीरज समान रूप से बॉलीवुड फिल्मों में, हिंदी साहित्य में और मंचीय कवि के रूप में प्रसिद्ध रहे. उनके लिखे प्रसिद्ध फिल्मी गीतों में शोखियों में घोला जाए फूलों का शबाब, लिखे जो खत तुझे, ऐ भाई, जरा देखकर चलो, दिल आज शायर है, खिलते हैं गुल यहां, फूलों के रंग से, रंगीला रे! तेरे रंग में और आदमी हूं- आदमी से प्यार करता हूं शामिल हैं.
जीत चुके थे फिल्म फेयर पुरस्कार
साल 1991 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया. इसके बाद उन्हें साल 2007 में पद्मभूषण दिया गया. यूपी सरकार ने यशभारती सम्मान से भी नवाजा. 'कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे' जैसे मशहूर गीत लिखने वाले नीरज को उनके बेजोड़ गीतों के लिए फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिला है. 'पहचान' फिल्म के गीत 'बस यही अपराध मैं हर बार करता हूं' और 'मेरा नाम जोकर' के 'ए भाई! ज़रा देख के चलो' ने नीरज को कामयाबी की बुलंदियों पर पहुंचाया. उनके एक दर्जन से भी अधिक कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं. उनका जन्म 4 जनवरी, 1924 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के पुरावली गांव में हुए था. उन्हें 1970, 1971, 1972 में फिल्म फेयर अवॉर्ड मिले.