तो अविश्वास प्रस्ताव का 'मौका' देकर मोदी ने खेला है बड़ा गेम?

नई दिल्ली
लोकसभा में 535 में से एनडीए के पास 312 सांसद होने के कारण मोदी सरकार + को अविश्वास प्रस्ताव से निपटने को लेकर कोई चिंता नहीं है। सरकार ने अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के जरिए पिछले चार वर्षों में अपनी उपलब्धियों की जानकारी संभावित मतदाताओं तक पहुंचाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके साथ ही वह बहुत से राजनीतिक मुद्दों पर विपक्ष को भी घेरेगी।

 बीजेपी के सूत्रों ने बताया कि सरकार अपने प्रभावशाली वक्ताओं को विपक्ष पर हमला करने के लिए उतारेगी। वक्ताओं के नाम अभी तक तय नहीं किए गए हैं। सरकार केंद्रीय मंत्रियों राजनाथ सिंह और सुषमा स्वराज + के साथ ही रविशंकर प्रसाद को बीजेपी के विरोधियों का मुकाबला करने के लिए तैनात कर सकती है। लोक जनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान दलित मुद्दों पर सरकार का पक्ष रख सकते हैं, जबकि अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल पिछड़े वर्गों के अधिकारों पर सरकार की ओर से जानकारी देंगी।

बहस के अंतिम वक्ता के तौर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जोरदार भाषण देने की विशेषता का प्रदर्शन होगा। मोदी इसमें तीन तलाक, किसानों की समस्याएं दूर करने के लिए सरकार की कोशिशों, कांग्रेस को निशाना बनाने और बीजेपी के खिलाफ विपक्ष के एकजुट होने जैसे मुद्दों को शामिल कर सकते हैं।

बीजेपी ने सदन में अपने नेताओं की मीटिंग कर उन्हें सहयोगियों और समान विचारधारा वाले दलों के साथ बातचीत करने का निर्देश दिया है। पार्टी को विश्वास है कि उसके लिए पिछले कुछ समय से मुश्किलें पैदा कर रहे 18 सांसदों वाले सहयोगी दल शिव सेना के साथ ही टीआरएस (11 सांसद) और एआईएडीएमके (37 सांसद) उसके पक्ष में वोट देंगे। टीआरएस ने कांग्रेस के साथ नहीं जुड़ने का संकेत दिया है। 20 सांसदों वाली बीजेडी भी कांग्रेस से अपनी दूरी बरकरार रख सकती है। एआईएडीएमके का बीजेपी को लेकर नरम रवैया है क्योंकि पार्टी ने उसे डेप्युटी स्पीकर का पद दिया था।

टीडीपी के बाहर निकलने के बाद एनडीए से 16 सांसद घट गए थे। जेडी (यू) के एनडीए में शामिल होने से केवल दो सांसद आए हैं। बीजेपी को पीएमके (1 सांसद), स्वाभिमान पक्ष (1 सांसद), 3 निर्दलीय सांसदों और दो एंग्लो इंडियन सांसदों का समर्थन मिलने की भी उम्मीद है। संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा, 'एनडीए अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ एकजुटता से वोट देगा। हमें विश्वास है कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व के कारण हमें एनडीए के बाहर भी समर्थन मिलेगा।'