दिल्ली: 50 हजार लोगों के बीच एक भी मोहल्ला क्लिनिक नहीं, इकलौता पॉलीक्लिनिक बना खंडहर

दिल्ली: 50 हजार लोगों के बीच एक भी मोहल्ला क्लिनिक नहीं, इकलौता पॉलीक्लिनिक बना खंडहर

नई दिल्ली        
दिल्ली के बदरपुर विधानसभा के अंतर्गत आने वाले गौतमपुरी पुनर्वास कॉलोनी फेस टू में रहने वाले करीब 50000 लोगों को स्वास्थ्य की मूलभूत सुविधाओं का पिछले 6 सालों से इंतजार है. कमाल देखिये, 6 साल पहले ही इलाके में स्वास्थ्य केंद्र यानी पॉलीक्लिनिक का निर्माण करोड़ों रुपए लगाकर किया भी गया. मूलभूत स्वास्थ्य सेवाएं देने की कोशिश तत्कालीन सांसद ने की, लेकिन न जाने क्यों अब यह स्वास्थ्य केंद्र खंडहर में तब्दील हो चुका है.

पूरी दिल्ली में मोहल्ला क्लीनिक का डंका पीटने वाली दिल्ली सरकार के एक आदेश का इंतजार यहां के लोग कर रहे हैं. इलाके में एक भी मोहल्ला क्लीनिक नहीं है. दरअसल, शाम के वक्त असामाजिक तत्वों का जमावड़ा हो जाता है. सारी खिड़कियों को अस्थाई तौर पर टूटे-फूटे फर्नीचर से ढका गया है. यहां बिजली का कनेक्शन तो है, लेकिन रोड दीवारों पर नहीं बल्कि सीढ़ियों के सहारे जल रहे हैं.

बदरपुर विधानसभा के विधायक नारायण दत्त शर्मा ने दावा किया कि पिछली सरकारों में किए गए कुछ काम ऐसे हैं जो समझ से परे हैं. यह स्वास्थ्य केंद्र उन्हीं में से एक है. विधायक महोदय ने दावा किया स्वास्थ्य विभाग की एक टीम ने इसे स्वास्थ्य केंद्र संचालन को लेकर अपनी अनुमति देने से मना कर दिया. लिहाजा इसका संचालन अभी भी दिल्ली सरकार के अंदर लंबित है, विचाराधीन है. इलाके में 3 मोहल्ला क्लीनिक अगले महीने से शुरू हो जाएंगे.

आरटीआई एक्टिविस्ट खेमचंद वर्मा को सूचना के अधिकार के तहत जवाब मिला कि स्वास्थ्य केंद्र का संचालन दिल्ली सरकार में विचाराधीन है. हालांकि, इसका कारण नहीं बताया.

बता दें, यहां दिल्ली सरकार की तरफ से सिक्योरिटी कंपनी के 3 सुरक्षाकर्मी शिफ्ट में काम करते हैं, जो स्वास्थ्य केंद्र की सेफ्टी और सुरक्षा का ख्याल रखते हैं. सुरक्षागार्ड तेजराम ने बताया कि यहां तो हम भी सेफ नहीं है.

2001 में बसी गौतमपुरी पुनर्वास कॉलोनी को जे जे कैंप गौतम नगर से शिफ्ट किया गया था. तत्कालीन विधायक किरण वालिया ने पहली बार साढे 12 गज की स्कीम के तहत जेजे कॉलोनी के लोगों के लिए प्लॉट दिलाया था. बदरपुर विधानसभा में गौतमपुरी पुनर्वास कॉलोनी में करीब 25000 की पोलिंग है. 17 पोलिंग बूथ यहां पर है. 5000 मकानों में लोग रह रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक यहां करीब 50000 लोग रहते हैं.