दुर्व्यवहार मामले में फंसे भारतीय टीम के मैनेजर को स्वदेश लौटने का आदेश

दुर्व्यवहार मामले में फंसे भारतीय टीम के मैनेजर को स्वदेश लौटने का आदेश

नई दिल्ली

वेस्टइंडीज में दुर्व्यवहार मामले में फंसे भारतीय टीम के मैनेजर सुनील सुब्रह्मण्यम को स्वदेश लौटने के लिए कहा गया है. सुब्रह्मण्यम को दिसंबर 2018 में ऑस्ट्रेलिया के पर्थ टेस्ट के दौरान अपने खराब के व्यवहार के कारण आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था, हालांकि वह वहां बाद में बच गए थे. अब देखना होगा कि सुब्रह्मण्यम को प्रशासनिक प्रबंधक के साक्षात्कार के लिए 16 अगस्त को मुंबई में पेश होने का मौका मिलेगा या नहीं, जिन्हें छंटनी के बाद इसके लिए चुना गया था.

बोर्ड के एक अधिकारी ने आईएएनएस से कहा कि मैनेजर की भूमिका के लिए यह देखना जरूरी है कि क्या उन्हें इसकी इजाजत दी जाएगी या उन्हें इस पद से हटाया जाएगा. यह इस चीज पर निर्भर करता है कि उनके स्वदेश लौटने के बाद अधिकारी उनके तर्क को किस तरह से लेते हैं. लेकिन यह पहली बार नहीं है जब यह भारतीय टीम मैनेजर के रूप में उनके खिलाफ दुर्व्यवहार की बात आई है. बताया जाता है कि तमिलनाडु के पूर्व स्पिनर ने गुयाना और त्रिनिदाद एवं टोबैगो में भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों के साथ कथित दुर्व्यवहार के लिए बिना शर्त माफी की पेशकश की, लेकिन इस घटना से उनका राष्ट्रीय टीम के साथ यह पद गंवाना निश्चित है.

बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'भारतीय टीम की जल सरंक्षण परियोजना के लिए काफी लंबी शूटिंग थी और उन्हें इसकी देखरेख करनी थी. इस शूटिंग के समाप्त होने पर उन्हें एक ई-मेल भेजा गया, जिसमें उन्हें पहली फ्लाइट लेकर वापस लौटने को कहा गया.' भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने दो उच्चायोग को कहा था कि कैरेबिया में जिस विज्ञापन को फिल्माना है, उसके लिए वह टीम के मैनेजर सुब्रह्मण्यम से संपर्क करें, लेकिन जब त्रिनिदाद एवं टोबागो में मौजूद भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों ने सुब्रह्मण्यम से संपर्क किया तो उन्होंने अधिकारियों को तवज्जो नहीं दी. रविचंद्रन अश्विन के पूर्व कोच सुब्रह्मण्यम ने 74 प्रथम श्रेणी मैच खेले हैं और 285 विकेट निकाले हैं.

इससे पहले बीसीसीआई के एक कार्यकारी ने कहा था कि पहले इस तरह की हरकतों को नजरअंदाज किया गया, इसी कारण यह स्थिति बनी है. उन्होंने कहा कि अगर बात उच्चायोग की नहीं होती और सीओए के मुखिया विनोद राय पर आंच नहीं आती, तो इस बार भी इस घटना को नजरअंदाज किया जाता. उन्होंने कहा, 'पहले इस तरह की हरकतें हुई थीं, लेकिन उन्हें नजरअंदाज किया गया. इसी कारण उनका हौसला बढ़ा है. अब क्योंकि राय तक बात आ गई है तो कार्रवाई की जा सकती है.' विश्व कप के दौरान भी बोर्ड के अधिकारी उनके व्यवहार से खुश नहीं थे.

पता चला है कि सुब्रह्मण्यम ने अपने कथित दुर्व्यवहार के लिए तनाव को जिम्मेदार बताया. अधिकारी ने कहा, 'अपने माफीनामे में उन्होंने कहा कि उनकी नींद पूरी नहीं हुई थी और वह तनाव में थे, जिससे वह इस तरह का व्यवहार कर बैठे. उन्होंने बिना शर्त माफी मांग ली है. लेकिन आपको समझना होगा कि यह मामला सरकार के उच्च स्तर के अधिकारियों के पास पहुंच गया है और बीसीसीआई इस मामले पर ज्यादा कुछ नहीं कर सकता.'

उल्लेखनीय है कि 52 साल के सुब्रह्मण्यम पर आरोप था कि वह वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के फोन की लगातार अनदेखी कर रहे थे. फिर उन्होंने बीसीसीआई अधिकारियों के फोन भी नहीं उठाए. बताया जाता है कि त्रिनिदाद एवं टोबैगो में भारतीय उच्चायोग के वरिष्ठ व्यक्ति ने उनसे सहयोग की मांग की तो उन्होंने उनसे कहा कि मुझे बार-बार संदेश मत भेजो.