नयी सरकार बनने का इंतज़ार तो इन्हें भी है, वजह भले ही अलग हो...

नयी सरकार बनने का इंतज़ार तो इन्हें भी है, वजह भले ही अलग हो...

ग्वालियर 
नेताओं के साथ किसानों को भी नयी सरकार बनने का इंतज़ार है. कांग्रेस ने कर्ज़माफ़ी और राजनीतिक दलों ने उपज का बेहतर समर्थन मूल्य़ देने का वादा किया है. इसी उम्मीद में ग्वालियर ज़िले में किसानों ने नयी सरकार बनने तक धान की आवक रोक रखी है.

20 दिन से किसान अपनी उपज लेकर मंडी नहीं आए हैं. उन्हें भी मतगणना का इंतज़ार है. जैसे ही वोटों की गिनती पूरी होगी, प्रदेश में सरकार का सीन भी साफ हो जाएगा. मंडी का हाल देखते हुए प्रशासन ने समर्थन मूल्य पर खरीदी की समय़ सीमा बढ़ा कर 15 जनवरी कर दी है.

इस बार चुनाव में कांग्रेस ने किसानों से कर्ज़माफ़ी का वादा किया है. साथ ही समर्थन मूल्य बढ़ाकर देने का वचन दिया है. बीजेपी ने भी किसानों को फसलों का बेहतर मूल्य देने का वादा किया है. यही वजह है कि ग्वालियर जिले में किसानों ने अभी तक समर्थन मूल्य पर धान नही बेचा है. अभी धान का समर्थन मूल्य 1750 रुपए प्रति क्विंटल है. किसानों का कहना है सरकार किसी की भी बने उन्हें उम्मीद है कि धान का समर्थन मूल्य बढ़ेगा. लिहाजा नई सरकार बनने के बाद ही वो धान बेचने निकलेंगे.

ग्वालियर ज़िले में इस बार धान की बंपर पैदावार हुई है. जिले में कुल 48 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बुआई हुई थी. इसमें करीब 21 लाख 60 हजार क्विंटल धान उत्पादन हुआ है. धान खरीदी के लिए 18 केंद्र बनाए गए हैं. 15 नवंबर से इन सभी केंद्रों पर धान खरीदी शुरू कर दी गयी थी. लेकिन 20 दिन में एक भी किसान धान लेकर नहीं पहुंचा. इसलिए प्रशासन को धान खरीदी की तारीख़ 15 जनवरी तक बढ़ानी पड़ी.