पति-पत्नी 22 साल से रह रहे थे अलग, पति की तलाक की अर्जी खारिज

पति-पत्नी 22 साल से रह रहे थे अलग, पति की तलाक की अर्जी खारिज

रायपुर 
छत्तीसगढ़ में बीते 22 साल से अलग रह रहे पति-पत्नी का विवाद आखिरकार हाईकोर्ट पहुंच गया. नौकरी के लिए ससुराल से दूर रह रही पत्नी से तलाक लेने के मामले में निचली अदालत के खिलाफ पति की अपील को हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए पति की अपील को खारिज कर दिया है.

दरअसल, ग्वालियर में रहने वाली कामिनी की शादी भिलाई में रहने वाले हेमंत के साथ बीते 3 नवंबर वर्ष 1995 को हुई थी. इस दौरान शादी के बाद कामिनी अपने ससुराल भिलाई में रहने लगी, लेकिन इसी बीच उसका चयन असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर हो गया और उसे भिलाई के बाहर पोस्टिंग दे दी गई.

पति ने उसे नौकरी ज्वाइन करने से मना कर दिया. ससुराल वाले भी कामिनी के बाहर जाकर नौकरी करने पर नाखुश थे, लेकिन कामिनी ने पति को आर्थिक रूप से मदद करने के लिए नौकरी ज्वाइन कर ली. पति और ससुराल के मर्जी के खिलाफ बाहर जाकर नौकरी करने को लेकर पति-पत्नी में आए दिन विवाद होने लगे और फिर दोनों अलग हो गए.

इस तरह करीब 22 साल से दोनों पति-पत्नी अलग रह रहे हैं. इसी बीच पति ने डिस्ट्रिक्ट कोर्ट दुर्ग में तलाक की मांग को लेकर मामला प्रस्तुत किया, जिसमें कहा गया कि बिना किसी ठोस कारण के ही पत्नी ने उसे छोड़ दिया है. वहीं पत्नी ने अपना पक्ष रखते हुए कोर्ट को बताया कि शादी से पहले हेमंत के नौकरी नहीं करने की जानकारी उसे उसके ससुराल वालों द्वारा नहीं दी गई थी. शादी के बाद उसे पता चला कि पति हेमंत अपने परिजनों पर आश्रित है. इसलिए उसने पति को आर्थिक मदद करने के लिए नौकरी करने का निर्णय लिया था, लेकिन पति और सास-ससुर को बहू का बाहर जाकर नौकरी करना पसंद नहीं था.

कामिनी ने बताया कि उसे यह तक कह दिया गया था कि वो या तो नौकरी छोड़ दे या पति को. लिहाजा, दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में पति द्वारा प्रस्तुत तलाक के मामले को खारिज कर दिया गया था. निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ पति हेमंत ने हाईकोर्ट में अपील की थी, जिसे हाईकोर्ट जस्टिस गौतम भादुड़ी के सिंगल बेंच ने निचली अदालत के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए पति की अपील को खारिज कर दिया है.