पलूशन की वजह घर में कैद हो गए हैं दिल्ली-एनसीआर के 32% लोग
नई दिल्ली
दिल्ली-एनसीआर में जब प्रदूषण का स्तर अपने चरम पर पहुंच जाता है तो करीब 8.3 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो दिल्ली छोड़कर कुछ दिनों के लिए बाहर चले जाते हैं, ताकि जहरीली हवा में उनका दम न घुटे। वहीं, 50 प्रतिशत लोग दिल्ली-एनसीआर की हवा को सांस लेने के लिए अच्छा नहीं मानते, जबकि 24.5 प्रतिशत इस हवा को जहरीला मानते हैं। महज 16 प्रतिशत लोग ही ऐसे हैं जो इस हवा को संतोषजनक समझते हैं। यह बात सिविक सोसायटी आर्गेनाइजेशन नेटवर्क- द क्लीन एयर कलेक्टिव के पब्लिक परसेप्शन सर्वे में सामने आई है। थिंक टेक समेत प्रदूषण पर काम करने वाली कई संस्थाएं इसमें शामिल रहीं। यह सर्वे देश के 17 शहरों में किया गया।
83% लोगों के फेफड़ों पर असर डाल रहा है प्रदूषण
इस सर्वे में 89 प्रतिशत लोगों ने बताया कि वह प्रदूषण बढ़ने पर बीमार महसूस करते हैं और सिर्फ 3.3 प्रतिशत लोग ऐसे थे जिनका कहना था कि उन्हें प्रदूषण से कोई परेशानी नहीं होती। दिल्ली-एनसीआर के 39 पर्सेंट लोग प्रदूषण से काफी परेशान हैं, जबकि 45.3 पर्सेंट लोगों को प्रदूषण कुछ हद तक परेशान कर रहा है। दिल्ली के 83.3 प्रतिशत लोगों के फेफड़ों पर प्रदूषण का असर पड़ा है, जबकि 7 पर्सेंट लोगों के दिल पर इसका बुरा असर हुआ है। 7.3 पर्सेंट लोगों के नर्वस सिस्टम को पलूशन ने प्रभावित किया है। दिल्ली-एनसीआर के 41.7 पर्सेंट लोग प्रदूषण को कम करने के लिए उठाए जा रहे कदमों से संतुष्ट नहीं है, जबकि 48.8 पर्सेंट लोग इससे कुछ हद तक इत्तेफाक रखते हैं।
लोगों की हेल्थ पर प्रदूषण का प्रभाव
- सांस लेने में ज्यादा परेशानी: 44.7%
- आउटडोर एक्टिविटी में कमी: 27.5%
- डिप्रेशन महसूस होता है: 26.9%
- आंख, नाक और गले में तकलीफ: 51.9%
- त्वचा की परेशानियां: 49.4%
- अस्थमा की परेशानी: 31.3%
- छाती में दर्द : 24.2%